स्टोरीकल रिसर्च वह ड्राइवर टू फोकस ऑन द ऑन द नेम इज लाइफ
Answers
Answer:
1965 में पंजाब से दिल्ली गेहूं के बोरे लेकर जा रहे ट्रक ड्रायवर से फौज ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई में आपकी मदद की जरूरत है। जिस पर उन्होंने रास्ते में ही बोरियों को पटका और सेना के साथ शामिल पाकिस्तान की सीमा में घुसकर ऐसा गदर मचाया कि फौज भी दंग रह गई। उन्हें इस यादगार लड़ाई के लिए 1965 में अशोक चक्र से नवाजा गया, लेकिन इसके साथ मिलने वाली सुविधाएं 50 साल बाद भी नहीं मिलीं। फेंके गए दस्तावेज देखकर दंग रह गया गडकरी का स्टाफ...
तोपों के सामने जाने से नहीं डरे
- बात 30 अगस्त 1965 की है। कमल नयन मलेरकोट पंजाब से ट्रक क्रमांक पीएनआर 5317 में 90 बोरी गेहूं लादकर दिल्ली जा रहे थे।
- सेना के जवानों ने उनके ट्रक को रोका और बताया कि पाकिस्तान से जंग छिड़ा है। हमें आपके ट्रक और आपकी मदद की जरूरत है।
- उन्होंने ट्रक में लदीं 90 बोरियां सड़क पर उतार दीं। वे ट्रक में गोला-बारूद भरकर सेना की मदद में लगे रहे।
- बकौल नयन, जंग करते हुए वे पाकिस्तान के सियालकोट सेक्टर पहुंच गए। यहां चारों ओर पाकिस्तान के गोला-बारूद और तोपों के बीच से सेना का असलहा लेकर ऐसे गुजरते जैसे किसी आम रास्ते से गुजर रहे हों।
- कई बार तो उन्होंने ट्रक पाकिस्तानी सैनिकों पर फिल्मी स्टाइल में चढ़ा दिए तो कई बार खुद गोला-बारूद चलाने लगे।
फेंके गए दस्तावेज देखकर दंग रह गया गडकरी का स्टाफ
- सरकार एक ट्रक ड्राइवर कमल नयन को सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने के अदम्य साहस पर अशोक चक्र देकर भूल गई है।
- वे इन्हीं सुविधाओं के लिए पिछले 15 दिनों से नागपुर की खाक छान कर चले गए।
- दरअसल, वे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को उनके दो साल पहले न्याय दिलाने के वादे को याद दिलाने नागपुर आए थे।
- कमल 4 दिन पहले गडकरी के बंगले पर मौजूदा स्टॉफ को अपनी बहादुरी से जुड़े कागजात फेंककर आ गए।
- उनके फेंके गए दस्तावेज देखकर गडकरी का स्टाफ दंग रह गया। आखिर एक सिविलियन कितनी बहादुरी दिखा सकता है, उसका जीता-जागता सबूत कमल नयन हैं।
- वे दो साल पहले नितिन गडकरी से दिल्ली में मिले थे और अपने साथ हुए अन्याय की बात बताई थी।
- इस पर गडकरी ने उन्हें पूरे दस्तावेज के साथ वापस मिलने को कहा था, ताकि वे इंसाफ दिला सकें, हालांकि स्टाफ उन्हें जल्द ही मिलाने की तैयारी में है।
पर सिस्टम से हारे
- कमल कहते हैं, पाकिस्तान के खिलाफ हुए जंग में नहीं डरा। 50 साल में अब तक अपने हक की लड़ाई अपनों से हार चुका हूं।
- उन्हें जब अशोक चक्र मिला, वह हरियाणा में परिवार के साथ रहते थे। अब वह जयपुर में रहते हैं।
- इसी के साथ उन्हें 15 लाख रुपए नगद और 70 हजार रुपए सालाना देने की घोषणा हुई, लेकिन 50 साल बाद भी यह पूरी नहीं हो पाई।
किसे मिलता है अशोक चक्र
- अशोक चक्र वीरता सम्मान है। यह जंग के अतिरिक्त शौर्य, बहादुरी और बलिदान के लिए दिया जाता है।
- इस सम्मान का वही महत्व है, जो लड़ाई के दौरान परमवीर चक्र का है। अशोक चक्र गैर जंग प्रसंग में वीरता के लिए सैनिकों और आम नागरिकों, सबके लिए है।
Explanation:
please mark as brilliant and follow me