स्टोरी ऑफ लोमड़ी और सारस अलग अंत
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एक दिन लोमड़ी ने अपने दोस्त सारस को खाने पर बुलाया। सारस् जब अपने दोस्त लोमड़ी के घर पहुंचा, तो लोमड़ी ने मजाक करते हुए, थाली में सुप परोसा।
सारस ने अपनी लंबी चोंच से सूप पीने की बहुत कोशिश की पर वह सिर्फ अपनी सोच ही बिगो पाया। दूसरी तरफ लोमड़ी अपनी जीभ से चाट चाट कर सारा सूप गई। बेचारा सारस भूखा वापस अपने घर आ गया।
कुछ दिनों बाद सारस ने लोमड़ी को अपने घर खाने पर बुलाया। सारस ने एक छोटी मुंह वाली सुराही में खाना परोसा। इस बार लोमड़ी ने बहुत कोशिश की पर कुछ खाना पाई।
सारस बोला, “क्या हुआ दोस्त? मैंने तुम्हारी पसंद का मांस बनाया है।”
सारस अपनी लंबी चोट की मदद से सारा खाना चट कर गया। लोमड़ी को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह शर्मिंदा होकर अपने घर वापस आ गई।
नैतिक शिक्षा :– जैसा करोगे वैसा भरोगे।
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सारस् जब अपने दोस्त लोमड़ी के घर पहुंचा, तो लोमड़ी ने मजाक करते हुए, थाली में सुप परोसा। सारस ने अपनी लंबी चोंच से सूप पीने की बहुत कोशिश की पर वह सिर्फ अपनी सोच ही बिगो पाया। दूसरी तरफ लोमड़ी अपनी जीभ से चाट चाट कर सारा सूप गई। बेचारा सारस भूखा वापस अपने घर आ गया।