स्त्री शिक्षा या नारी सशक्तिकरण पर विज्ञापन
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फैशन और विज्ञापन का महिला सशक्तिकरण में है अमूल्य योगदान
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नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का मतलब क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई? यह जानने की शायद ही किसी को फुर्सत हो। आज यह दिन कार्यालयों में महिलाओं को पुरुष सहयोगियों द्वारा फूल भेंट करने और महिला कर्मचारियों के लिए विशेष लंच का आयोजन करने तक सिमट कर रह गया है। सामान्य तौर पर हम एक दिन महिलाओं के नाम समर्पित कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। लेकिन वास्तविक महिला दिवस तो फैशन इंडस्ट्री और विज्ञापन की दुनिया में मनाया जाता है।
इन दो कारोबार ने जितना महिलाओं को महत्व दिया है, उतना शायद ही किसी ने दिया हो। चाहे कार बेचना हो या टूथपेस्ट, खानेपीने का सामान हो या होमलोन। हर चीज को बेचने के लिए विज्ञापन उद्योग महिलाओं का ही सहारा लेता है। बल्कि यहां तो सालो भर ही महिला दिवस मनाया जाता है। आज फैशन कारोबार अरबो-खरबों रुपए का है, जो पूरी तरह महिलाओं के विज्ञापन पर ही आश्रित है।
हाल के वर्षों में महिला सशक्तिकरण की दिशा में सबसे अधिक उल्लेखनीय प्रगति हुई है। देश-दुनिया में हो रहे इस सकारात्मक बदलाव में फैशन व मीडिया ने बड़ी भूमिका निभाई है। हालांकि पहले यहां भी महिलाओ को एक विशेष खांचे में फिट कर दिखाया जाता था। लेकिन अब वहां भी बदलाव की बयार स्पष्ट रुप से दिखाई दे रही है।
आज फैशन कारोबार में महिलाओं को उनके वास्तविक रुप में दिखाने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। दुनिया अब बार्बी डॉल से आगे निकल चुकी है। अब बॉर्बी गर्ल की बनावट और रंग महिलाओं की खूबसूरती का पैमाना नहीं रहा। कई सारे विज्ञापनों में हमारे आसपास की सामान्य महिलाएं नजर आने लगी है। लिवाइस जैसी कंपनी ने भी हर तरह की महिलाओं के लिए जींस बाजार में उतारा है। ये हर साइज की फिट और कर्व में उपलब्ध है। अब खूबसूरती का पैमाने टूट रहे हैं और हर महिला खूबसूरत है का संदेश दिया जा रहा है। यहां तक मशहूर डिजायनर रिक ओवेंस अपने फैशन शो में हर तरह की लड़कियों को मौका देते हैं।
आज हॉलीवुड सुपरस्टार सिंडी क्राफोर्ड को 50 साल की उम्र में भी दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला करार दिया जाता है। यहां तक कि उनकी वैसी तस्वीरे भी हमारे सामने होती है, जो बिल्कुल वास्तविक होती है। वो जमाना गया जब फोटोशॉप जैसे सॉफ्टवेयर की मदद से महिलाओं की अविश्वनीय सी छवि पेश की जाती थी। अब 80 साल की उम्र में भी अमरीकी लेखक और मॉडल जोन डिडिअन मॉडलिंग करती है। मशहूर कंपनी डीजल के नए विज्ञापन में चैंटेले विनी के चेहरे के सफेद दाग देखे जा सकते हैं।
वही, बदलाव की यह बयार अपने देश में जोर-शोर से बह रही है। देश में डव जैसी कंपनी ने 'रियल ब्यूटी' नाम का कैंपेन चलाया है। इसके तहत वे हर तरह की महिला की तस्वीर दिखाते हैं, चाहे उनका रंग कैसा हो या उनके चेहरे पर उम्र के निशान नजर आ रहे हो। यहां तक कि डव के नए विज्ञापन में वे एक धुंधराले बालों वाली लड़की को दिखाते हैं और वो अफ्रीकी अमेरिकी नस्ल की। ये एक बड़ा बदलाव है क्योंकि अपने देश में तो विज्ञापनों में कॉकेशन नस्ल की गोरी और स्लिम-ट्रिम औरते ही नजर आती थी। यह यकीनन एक बड़ा बदलाव है और इसका सकारात्मक प्रभाव सामाजिक रुप से भी नजर आएगा।
इनमें सबसे ज्यादा उल्लेखनीय विज्ञापन वोग इंडिया का 'वोग इम्पाउर' विज्ञापन है। इसमें दिखाया गया है कि एक लड़के को बचपन से ही उसके माता-पिता टफ बनाते हैं। चाहे वो बचपन में पहली बार स्कूल जाने के समय भावुक हो रहा हो या खेल में चोट लगने पर रोने वाला हो। उसके माता-पिता उसे हमेशा मजबूत रहना सिखाते हैं। लेकिन यही टफ लड़का आगे जाकर अपनी गर्लफ्रेंड/पत्नी के साथ शारीरिक हिंसा करता है। वह उसके बांह मरोड़ता है व उसे मारता पीटता है। विज्ञापन के अंत में माधुरी दीक्षित आकर यह संदेश देती है कि अपने लड़को के केवल यह मत सिखाएं कि रोना नहीं चाहिए, बल्कि यह भी सिखाएं किसी लड़की को मत रुलाएं। यह फिल्म घरेलू हिंसा के खिलाफ एक सशक्त संदेश देती है। इसी थीम पर मनीष मलहोत्रा आनेवाले फैशन वीक में एक विशेष शो प्रस्तुत करने वाले हैं।
इसके अलावा कुछ सालों से बोर्नवीटा के विज्ञापन भी काफी प्रेरणादायक रहे हैं। कुछ साल पहले दिखाया जाता है कि एक युवा मां अपने किशोर बेटे को दौड़ने की ट्रेनिंग दे रही होती है। इसमें यह संदेश दिया जाता था कि आपकी मां हमेशा आपको अच्छी आदतें ही सिखाती है। इस विज्ञापन में बच्चे के पिता का कहीं नामोनिशान नहीं है और उसकी जरुरत भी नहीं है। यह विज्ञापन एक सिंगल मदर को नैतिक मजबूती प्रदान करती है।
वहीं, बार्नविटा के नए विज्ञापन में एक मां अपने बेटे को तैरना सिखाती है और जब बेटे के पैर में चोट लगने से प्लास्टर चढ़ा होता है, तो उसकी तरह वो भी अपने पैर को बांध लेती है। लेकिन उसकी ट्रेनिंग जारी रखती है। यह बहुत ही प्यारा और संवेदनशील विज्ञापन है।
वहीं, स्टार स्पोर्टस का विज्ञापन 'चेक आउट माइ गेम' महिलाओं को घूरने वालों को करारा जबाव देती प्रतीत होती है। इसमें देश की प्रमुख महिला एथलीटों को अपना-अपना खेल खेलते दिखाया गया है। जहां साइना नेहवाल कहती है कि मेरी सर्विस देखो, तो मैरी कॉम कहती है कि मेरा पंच देखो। तो कोई एथलीट कहती है कि मेरा खेल देखो। यह विज्ञापन महिलाओं के प्रति हमारे समाज के स्टीरियोटाइप रवैये को एक जोरदार पंच मारता है। जाहिर है कि यह एक बड़े बदलाव की शुरुआत है। इस बदलाव से हमारी दुनिया ज्यादा दिन तक अनछुई नहीं रह सकती।
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