Hindi, asked by Jhapravinkumar9, 1 year ago

संतोष नामक नियम का अर्थ तथा इसके पालन करने के लाभ बताइए ?

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Answered by AbsorbingMan
47

संतोष नामक नियम का अर्थ तुष्टि, मन का तृप्त हो जाना।

संतोष की सिद्धि के लिए क्षुब्ध और निराश करने वाली स्थितियों से बचने का परामर्श दिया गया है। स्थितियों का एक निहितार्थ उन व्यक्तियों से भी संबंधित है, जो हमारे मन, सोच और संकल्प को प्रभावित करते हैं। ऐसे वातावरण को छोड़ देना चाहिए या उससे बचना चाहिए, जो आपको क्षुब्ध करता हो और मन में निराशा भरता हो। वस्तुत: क्षोभ और निराशा का भाव ईश्वर के प्रति अविश्वास का एक प्रकार है। जितनी देर तक हम निराश होते हैं, उतनी देर तक ईश्वर के मंगल विधान पर संदेह करते हैं।

इस स्थिति तक पहुंचने के लिए जिस मार्ग का आश्रय लेना चाहिए, उसमें पहली आवश्यकता प्रसन्न रहना है। हमें जो भी परिस्थितियां उपलब्ध हैं, उनमें प्रसन्न रहे।

Answered by ADbNNNsj
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Answer:

पूरी तत्परता, पुरुषार्थ और पर्यटन के लिए हुए कर्म का जो फल प्राप्त हो उससे अधिक कार लोग ना करना संतोष कहलाता है। इसके पालन करने से विजय हो या प्रयास हानि हो या लाभ सुख हो या दुख सब अवस्था में मन प्रसन्न हो जाता है। संतोष सख का मूल है।

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