संतुष्ट होकर जीवन जीने में आनंद है या असंतुष्ट रहकर ।‘ इस विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए
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संतुष्ट होकर जीवन जीने में आनंद है ....
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सफलता और खुशी जीवन के दो पूरक हैं और अगर इन दोनों में से कोई एक भी न रहे तो निश्चित ही दूसरे का मिलना भी मुमकिन नहीं। पर यह भी संभव नहीं कि हर कदम पर आपको सफलता ही हाथ लगे या हर वक्त आप खुश रहें। ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में भी जीवन में संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है, ताकि नई कामयाबी की तरफ बढ़ा जा सके।
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