स्टीव जॉब्स ने एप्पल कंपनी क्यों छोड़नी पड़ी थी ?
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स्टीव जॉब्स ने स्टीव वॉज़निएक के साथ मिलकर साल 1976 में एप्पल कंपनी की स्थापना की थी. तब से कैलिफ़ॉर्निया स्थित इस कंपनी को 'महान चीज़ें तैयार करने वाली' एक कंपनी के तौर पर देखा गया.
साल 1980 में एप्पल के शेयर की डिमांड बहुत ज़्यादा बढ़ गयी. कहा जाने लगा कि साल 1956 में फ़ोर्ड कंपनी के शेयर की ऐसी डिमांड थी. उसके बाद सिर्फ़ एप्पल कंपनी के शेयर की उतनी डिमांड हुई.लेकिन साल 1985 में कंपनी के चीफ़ एग्ज़ीक्यूटिव जॉन स्कली से उनका विवाद हो गया और इस विवाद के कारण उन्हें कंपनी छोड़नी पड़ी.
हालांकि 12 साल बाद, यानी साल 1997 में नुक़सान में चल रही एप्पल कंपनी ने स्टीव जॉब्स को वापस लौटने का प्रस्ताव दिया.
उन्होंने कंपनी में लौटते ही विभिन्न परियोजनाओं को रद्द कर दिया और एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसका नाम था 'थिंक डिफ़्रेंट' यानी 'कुछ नया सोचिए'.
इसी प्रोजेक्ट के तहत एप्पल ने अपने नए उत्पादों को तैयार करना शुरू किया. माना जाता है कि इससे कंपनी के कर्मचारियों का मनोबल एक तरह से पुनर्जीवित हो गया और एप्पल जल्दी ही मुनाफ़े की स्थिति में लौट आई.
साल 2011 में जब स्टीव जॉब्स का देहांत हुआ तो अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि दुनिया ने 'एक दूरदर्शी शख़्स को खो दिया' है.
ये भी कहा गया कि स्टीव जॉब्स के बाद 'एप्पल कंपनी', वैसे नहीं रह जायेगी.
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दिलेर, दूरदृष्टा थे स्टीव जॉब्स- ओबामा
स्टीव जॉब्स का करियर- तस्वीरों में
जॉब्स ने बेटी से कहा था, 'तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा'