Hindi, asked by samriddhigoyal6777, 11 months ago

सेठ गोविंददास का जीवन परिचय एवं कृतियाँ Seth Govardhandas Biography in Hindi

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सेठ गोविंददास का जीवन परिचय एवं कृतियाँ Seth Govardhandas Biography in Hindi

❱ सेठ गोविंददास हिंदी के अनन्य साधक, भारतीय संस्कृति में अटल विश्वास रखने वाले, कला

Answered by Stylishhh
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जीवन परिचय :-

सेठ गोविंददास हिंदी के अनन्य साधक, भारतीय संस्कृति में अटल विश्वास रखने वाले, कला-मर्मज्ञ एवं विपुल मात्रा में साहित्य-रचना करने वाले, हिंदी के उत्कृष्ट नाट्यकार ही नहीं थे, अपितु सार्वजनिक जीवन में अत्यंत स्वच्छ, नीति-व्यवहार में सुलझे हुए, सेवाभावी राजनीतिज्ञ भी थे। सेठ गोविंददास का जन्म मध्य प्रदेश राज्य के जबलपुर शहर में राजा गोकुलदास के परिवार में संवत 1953 (सन् 1896) को विजयादशमी के दिन हुआ। राज-परिवार में पले-बढ़े सेठजी की शिक्षा-दीक्षा भी आला दर्जे की हुई। अंग्रेजी भाषा, साहित्य और संस्कृति ही नहीं, स्केटिंग, नृत्य, घुड़सवारी का जादू भी इन पर चढ़ा।

सेठ गोविंददास का पारिवारिक वातावरण भक्तिमय रहा। आपकी कृष्ण के प्रति अटूट श्रद्धा थी। अवसर प्राप्त होते ही धार्मिक उत्सवों पर रास लीलाओं में भाग लेना आपको बहुत पसंद था। इसी से आपमें नाट्य-साहित्य के प्रति रुचि उत्पन्न हुई। तभी गाँधी जी के असहयोग आंदोलन का तरुण गोविंददास पर गहरा प्रभाव पड़ा और वैभवशाली जीवन का परित्याग कर वे दीन-दुखियों के साथ सेवकों के दल में शामिल हो गए तथा दर-दर की खाक छानी, जेल गए, जुर्माना भुगता और सरकार से बगावत के कारण पैतृक संपत्ति का उत्तराधिकार भी गँवाया। सेठजी ने देवकीनंदन खत्री के तिलस्मी उपन्यासों ‘चंद्रकांता’ व ‘चंद्रकांता संतति’ की तर्ज पर ‘चंपावती’, ‘कृष्णलता’ और ‘सोमलता’ नामक उपन्यास लिखे, वह भी मात्र सोलह वर्ष की किशोरावस्था में। साहित्य में दूसरा प्रभाव सेठजी पर शेक्सपीयर का पड़ा। शेक्सपीयर के ‘रोमियो-जूलियट’, ‘एजयू लाइक इट’, ‘पेटेव्कीज प्रिंस ऑफ टायर’ और ‘विंटर्स टेल’ नामक प्रसिद्ध नाटकों के आधार पर सेठजी ने ‘सुरेंद्र-सुंदरी’, ‘कृष्णकामिनी’, ‘होनहार’ और ‘व्यर्थ संदेह’ नामक उपन्यासों की रचना की। इस तरह सेठजी की साहित्य-रचना का प्रारंभ उपन्यास से हुआ। इसी समय उनकी रुचि कविता में बढ़ी। अपने उपन्यासों में तो जगह-जगह उन्होंने काव्य का प्रयोग किया ही, ‘वाणासुर-पराभव’ नामक काव्य की भी रचना की। सन् 1917 में सेठजी का पहला नाटक ‘विश्व प्रेम’ छपा। उसका मंचन भी हुआ। सन् 1974 ई़ में सेठजी का देहांत हो गया।

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