सांथी हाथ बढ़ाना इस कहानी में किसका उदाहरण देकर हमको मेहनत करने की प्रेरणा दी है
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Answer:
वे दो या अधिक व्यक्ति जिनका आपस में साथ हो; साथ देने वाला; साथ रहने वाला; दोस्त; सखा; संगी; मित्र।
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Explanation:
प्रश्न: इंसान चाहे तो क्या कर सकता है?
उत्तर: इंसान चाहे तो चट्टानों ने भी रास्ता निकाल सकता है।
प्रश्न: हमें मेहनत से क्यों नहीं डरना चाहिए?
उत्तर: मेहनत करके ही हम जीवन में आगे बढ़ सकते हैं, इसलिए हमें मेहनत से नहीं डरना चाहिए।
प्रश्न: हमारी मंजिल क्या है और हमारा रास्ता कैसा है?
उत्तर: हमारी मंजिल सच की मंजिल है और हमारा रास्ता भलाई का रास्ता है।
प्रश्न: मिलजुलकर काम करने से क्या लाभ है?
उत्तर: मिलजुल कर काम करने से कठिन कार्य भी सरल हो जाता है। काम में हमें समय भी कम लगता है। इसके अतिरिक्त सहयोग और परस्पर स्नेह की भावना का विकास होता है। कठिन से कठिन परिस्थितियाँ भी सहज लगने लगती हैं। प्रगति और खुशहाली की राह आसान हो जाती है। समाज में समरसता बढती है। लोगों में काम के प्रति उत्साह बना रहता है और ऐसी परिस्थिति में देश की तरक्की की संभावना बढ़ जाती है।
प्रश्न: क्या बिना किसी के सहयोग के आगे बढ़ा जा सकता है?
उत्तर: बिना किसी के सहयोग के आगे बढना एक दुष्कर कार्य है। जीवन के हर मोड़ पर हमें किसी न किसी के सहयोग की आवश्यकता होती है। यह सहयोग कई रूपों में हमें प्राप्त होता है। किसी व्यक्ति का स्नेह और शुभकामनाएँ भी आगे बढने में सहयोग करती हैं। सलाह और मार्गदर्शन आगे बढने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतः बिना किसी तरह के सहयोग के आगे बढना असंभव सा लगता है।
प्रश्न: यह कविता हमें क्या प्रेरणा देती है?
उत्तर: यह कविता हमें मिलकर काम करने, एक-दूसरे की सहायता करने, देश के लिए सोचने और मेहनत करने की प्रेरणा देती है। यह कविता हमें एकता और संगठन की शक्ति के बारे में बताती है। यह कविता हमें सिखाती है कि साथ मिलकर काम करने के कितने फायदे हैं। यह कविता हम मेहनत से काम करने का जोश और उत्साह जगती है। यह देश देशवासियों को एक सूत्र में बाँधने का कार्य करती है।
प्रश्न: यह गीत किसको संबोधित है?
उत्तर: यह गीत मज़दूरों को संबोधित है।
प्रश्न: इस गीत की किन पंक्तियों को तुम अपने आसपास की ज़िंदगी में घटते हुए देख सकते हो?
उत्तर: गीत के प्रथम चरण की पंक्तियों को हम अपने जीवन में घटित होते हुए देख सकतेहैं।लेखक ने इन पंक्तियों में सब लोगों और मज़दूरों को सम्बोधित करते हुए इस प्रकार कहा है: अगर हम अपने जीवन में कंधे-से-कंधा मिलाकर चलें तो जीवन की हर कठिनाई मामूली प्रतीत होगी।