Hindi, asked by rajracha9978, 10 months ago

संदेह:यही तो तुमहारा और मेरा मतभेद है.जीवन के लघु दीप को आनंद की धारा में बाहा देने का खह संकेत है? खह कथन किसका है और किस संदर्भ में कहा गया है?

Answers

Answered by akashkumar02042001
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Answer:

बहा देने का यह संकेत है। आह! कितनी सुंदर कल्पना!" कहकर मोहन बाबू जैसे

उच्छ्वसित हो उठे। उनकी शारीरिक चेतना मानसिक अनुभूति से मिलकर उतेजित

हो उठी। मनोरमा ने मेरे कानों में धीरे से कहा- "देखा न आपने।"

"मैं चकित हो रहा था। बजरा पंचगंगा घाट के समीप पहुँच गया था। तब हँसते

हुए मनोरमा ने अपने पति से कहा-'और यह बाँसों में जो टंगे हुए दीपक है, उन्हें

आप क्या कहेंगे?"

तुरत ही मोहन बाबू ने कहा- "आकाश भी असीम है। जीवन दीकोटसी और

जान के लिए यह भी संकेत है।" फिर हांफते हए उन्होंने कहना आरम्भ किया- तुम

लागान मुझे पागल समझ लिया है. मैं यह जानता हूँ ओह! संसार की विश्वासघात

करा ने मेरे हृदय को विक्षिप्त बना दिया है। मझेउससे विमुख कर दिया है।

किसी ने मेरे मानसिक विप्लवों में मझेसहायता नहीं दा। महा

वा में मुझे सहायता नहीं दी। मैं ही सबके लिए मरा कर।

मातस्यकता है। जीवन में वह

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