स्थाई भाव और संचारी भाव में अंतर
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➲ स्थायी भाव और संचारी भाव में अंतर इस प्रकार है...
- स्थाई भाव से तात्पर्य स्थिर और सार्वभौमिक भाव से है। स्थाई भाव से ही रस का जन्म होता है रस का मूल भाव स्थाई भाव होता है, जिसके आधार पर रसों का वर्गीकरण किया जाता है। स्थाई भाव स्थिर होता है अतः वह हमेशा बना रहता है।
- संचारी भाव से तात्पर्य हृदय के उन भावों से होता है जो स्थाई भाव के साथ कुछ समय के लिए उत्पन्न होते रहते हैं। ऐसे संचारी भाव अल्पकालीन होते हैं जो कभी किसी स्थाई भाव के साथ उत्पन्न होते हैं तो कभी किसी अन्य स्थाई भाव के साथ उत्पन्न होते हैं। इस तरह संचारी भाव ह्रदय में स्थिर ना होकर संचरण करते रहते हैं, इसी कारण इन्हें संचारी भाव कहा जाता है। संचारी भाव को व्यभिचारी भाव के नाम से भी जाना जाता है। यह भाव मन में कुछ समय के लिए उत्पन्न होते हैं और संचरण करके फिर चले जाते हैं।
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