Hindi, asked by ygour312, 4 months ago

सादा जीवन उच्च विचार अनुच्चेद्घ​

Answers

Answered by ayushupadhyay1701
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Explanation:

सरल जीवन उच्च विचार से पता चलता है कि हमें एक सादा जीवन जीना चाहिए लेकिन साथ ही हमारी सोच भी सीमित नहीं होनी चाहिए। यह नीतिवचन किसी भी प्रकार के दिखावे के बिना एक साधारण जीवन जीने के महत्व पर जोर देती है। ... हमें अपनी इच्छाओं और ज़रूरतों की जांच करना चाहिए।

Answered by prinshy12345678
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Answer:

जीवन में सादगी लाना और तुच्छ विचारों को हृदय से दूर कर देना अपने आप में महान् गुण है । अपने पर गर्व करना एक बड़ा दोष है । जीवन को सादा बनाने के लिए इस दोष का दूर करना नितांत आवश्यक है । सादा जीवन व्यतीत करनेवाला विनयशील, शिष्ट तथा आत्मनिर्भर होता है ।

मनुष्य में विनय, औदार्य, सहिष्णुता, साहस, चरित्र-बल आदि गुणों का विकास होना अति आवश्यक है । इनके बिना उसका जीवन सफल नहीं हो सकता । इन गुणों का प्रभाव उसके जीवन और विकास पर अवश्य पड़ता है । रहन-सहन, वेशभूषा, आचार- विचार का एक स्तर होना चाहिए । बड़े-से-बड़े कष्ट में भी धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए; अपव्ययी नहीं होना चाहिए और विपुल मात्रा में धन होने पर भी धन का अपव्यय नहीं करना चाहिए ।

कोई भी विद्यार्थी, जो किसी विश्वविद्यालय में शिक्षा पाता है और जिसके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, उसके लिए यही उचित है कि वह मितव्ययी बने और अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखे । कहने का तात्पर्य यह है कि वह अपने जीवन को यथासंभव सादा बनाए ।

सादा जीवन, उच्च विचार।’ अर्थात सादगी भरा रहन-सहन, खान-पान और अन्य प्रकार के जीवन-व्यवहार बनाने पर ही आदमी के मन में अच्छे भाव और विचार आ सकते हैं। वे सादगी भरे उच्च विचार ही व्यक्ति के जीवन का उच्च और महान बना सकते हैं। विचारों और व्यवहारों को उचच बना लेने पर ही मनुष्य को उस वास्तविक सुख-शांति की प्राप्ति संभव हो सकती है कि जिसकी खोज में वह दिन-रात मारा-मारा, भटकता फिरता और चारों ओर मार-धाड़ करता रहता है। जिसे मोक्ष या मुक्ति कहते हैं, मरने के बाद तो पता नहीं वह कभी किसी को मिल पाती है कि नहीं परंतु जीते-जी मनुष्य मोक्ष या मु िकत की अनुभूति अवश्य पा सकता है। वह सादे जीवन और विचारों में उच्चता यानी स्वरूपता आने पर ही संभव हो सकती है। इस तथ्य को हर देश के मनीषी ने भली प्रकार समझा है। तभी तो अपनी-अपनी भाषा और अपने-अपने ढंग से सभी ने इस तथ्य को उजागर करने का व्यावहारिक प्रयास किया है। हमारे देश को अहिंसा के असत्य से स्वतंत्र कराने वाले महात्मा गांधी का जीवन कितना सादगीपूर्ण था। एक लंगोटी और ऊपर से एक चादर, वह भी अपने हाथों से काती-बुती खादी की। उनका आहार-विहार भी एकदम सादा था। वह मोटा खाते, मोटा पहनते और बकरी का दूध पीकर संतोष कर लिया करते थे। उनके विचार भी रहन-सहन और खान-पान के समान ही सादे थे पर बहुत उच्च और महान। उन उच्च एंव महान विचारों के बल पर ही तो वे ‘विश्वबंध्य बापू’ होने का अंतर्राष्ट्रीय मान-सम्मान प्राप्त कर सके। देश की जनता में जागृति उत्पन्न कर, उसे संगठिन बनाकर स्वतंत्रता के लक्ष्य तक पहुंचा सके। तभी तो उनका जीवन ‘सादा जीवन उच्च विचार’ के मुहावरे को साकार करने वाला स्वीकारा जाता है। सारा संसार उन्हें महत्व देता और पूजता है। क्या इस उदाहरण और आदश्र से इस कथित मुहावरे का वास्तविक अर्थ एंव उद्देश्य स्पष्ट उजागर नहीं हो जाता?

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