सेठ के बेटे ने क्या सोचकर बुद्धि खरीदी?
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उसे समझ नहीं आया की यह कैसी दुकान है। उसने सोचा, “मेरे पिता हमेशा मुझे निर्बुद्धि और मुर्ख कहते है क्यों न कुछ बुद्धि खरीद लू।” यह सोचकर उसने सौदागर से कहा, “एक सेर का कितना पैसा लोगे? ... सेठ का बेटा ख़ुशी ख़ुशी घर पहुंचा और अपने पिता को कागज की पर्ची देते हुए बोला, “देखिए पिताजी मैं एक पैसे में अक्ल खरीदकर लाया हूँ।”
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