सुदामा चरित पाठ सारांश अपने शब्दों में लिखिए
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सुदामा चरित भावार्थ: जब सुदामा जी को श्रीकृष्ण की महिमा समझ आती है, तो वो उनकी महिमा गाने लगते हैं। वो सोचते हैं कि कहाँ तो मेरे सिर पर टूटी झोंपड़ी थी, अब सोने का महल मेरे सामने खड़ा है। कहाँ तो मेरे पास पहनने को जूते नहीं थे, अब मेरे सामने हाथी की सवारी लेकर महावत खड़े हैं। कठोर ज़मीन की जगह मेरे पास नरम बिस्तर हैं।
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