Hindi, asked by balrajadv1980, 3 months ago

सुदामा जी का जीवन परिचय ?​

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Answered by ParvatambikaSivaa
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Answer:

Explanation:

सुदामा कृष्ण के परम मित्र तथा भक्त थे। वे समस्त वेद-पुराणों के ज्ञाता और विद्वान् ब्राह्मण थे। श्री कृष्ण से उनकी मित्रता ऋषि संदीपनी के गुरुकुल में हुई। सुदामा जी अपने ग्राम के बच्चों को शिक्षा प्रदान करते थे और अपना जीवन यापन ब्राह्मण रीति के अनुसार वृत्ति मांग कर करते थे।

Answered by Anonymous
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सुदामा:

सुदामा और श्रीकृष्ण उज्जैन स्थित संदीपनी के आश्रम में ग्रहण कर रहे थे। उसी के पास नगर में एक गरीब ब्राह्मणी निवास करती थी। जो अपना जीवन भिक्षा मांगकर चलाती थी। एक ऐसा समय आया जब बहुत दिनों तक उसे भिक्षा नही मिली और वो केबल जलपान करके दिन बिताती थी। उसके बाद एक दिन उसे दो मुट्ठी चने मिले जिसे उसने एक पोटली में बांधकर सुबह भगवान को भोग लगाकर फिर खाने को रख दिये।

रात में उसकी झोपड़ी में चोर घुस गए और उसकी पोटली यह सोचकर कि इसमें धन होगा, चुराकर ले गए। तभी नगर में चोरी खबर फैल गयी और लोग चोरों के पीछे भागने लगे। चोर भागकर मुनिआश्रम में छुप गए। और सुबह होने से पहले भाग गए। लेकिन चने की पोटली वही गिर गयी।

उधर जब ब्राह्मणी ने सुबह देखा कि चने की पोटली चोरी हो गयी तो उसने श्राप दे दिया कि "जो भी मेरे चने खाये वो दरिद्रता को प्राप्त हो जाय"।

गुरु आश्रम में वह पोटली गुरुमाता को मिल गयी और उन्होंने वो चने सुदामा को दे दिये जब वो रोज की तरह लकड़ी काटने जा रहे थे। भिन्न भिन्न मतों का मानना है कि वो चने जानकर या अनजाने में सुदामा खा गए और दरिद्रता को प्राप्त हो गए।

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