सुदामा की दीन दशा का वर्णन कीजिए
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उत्तर : सुदामा की दीन दशा देखकर कृष्ण को बहुत दुख हुआ। वह अपने परम मित्र की दयनीय दशा को देखकर बहुत व्याकुल हो उठे। ... उन्होंने सुदामा के पैरों को धोने के लिए न तो परात उठाई और न ही पानी; उन्होंने अपने मित्र के पैरों को अपने आंसुओं से धोया, जो उनकी अंतर्मन की पीड़ा को स्पष्ट करता है।
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अर्जुन नगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन रविवार को कथा वाचक करुणेश्वरी देवी ने भगवान कृष्ण और सुदामा के मिलने की कथा सुनाई। बहुत की मार्मिक और भावों से भरी कथा सुनाते हुए खुद कथा वाचक की आंखें आंसुओं से भीग गई, तो कथा पांडाल में मौजूद हर श्रोता की आंखें से आंसू बह निकले। भगवान कृष्ण को जब पता चला कि सुदामा उनके दर पर खड़े हैं तो श्रीकृष्ण नंगे पैर ही दौड़ पड़े, उन्होंने दीन सुदामा को गले लगाया। अपने सिंहासन पर बिठाया और अपने आंसुओं से सुदामा के चरण धोए। उनकी पोटली में रखे चावल खाए और जब विदा किया तो अपनी माया से सुदामा की झोपड़ी को एक भव्य महल बना दिया।