Hindi, asked by smithajayan27, 9 months ago

') सेठ ने आद्योपांत जो कथा सुनाई, उसे अपने शब्दों में लिखिए।​

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Answered by jigyasa0310
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Answer:

कहानी महायज्ञ का पुरस्कार में सेठ जब धन्ना सेठ के पास यज्ञ बेचने गए थे तो उस समय की सारी घटना वापस आकर उन्होंने अपनी सेठानी को आद्योपांत सुनाई। सीखने सीखने सिखाने को बताया कि जो चार रोटियां सेठानी ने सेठ को खाने को दिए थे , सेठ इन रोटियों को खाने ही वाले थे कि उन्हें वही रास्ते में एक मड़ियल सा कुत्ता मिल गया। वह भूख से छटपटा रहा था। उसमें जरा सी भी मिलने की भी ताकत नहीं बची थी। इसीलिए सेठ ने उस कुत्ते को पहले एक रोटी खिलाई। सेठ बाकी रोटियां खाने वाले थे कि उन्होंने देखा कि कुत्ता अभी भी भूखा है और मिल नहीं पा रहा। इसलिए सेठ ने बारी बारी करके कुत्ते को साड़ी रोटियां खिला दी और खुद पानी पीकर रह गए। सेठ जब धन्ना सेठ के यहां यज्ञ बेचने पहुंचे तब वहां धन्ना सेठ की पत्नी ने सेठ से महायज्ञ भेजने को कहा। सेठ ने कहा मैंने बहुत सालों से कोई महायज्ञ नहीं किया। परंतु धन्ना सेठ की सेठानी ने कहा कि आपने रास्ते में खुद भूखे रहकर कितने को चारों रोटियां खिलाई यह किसी महायज्ञ से कम नहीं। हमें वही महायज्ञ खरीदना है। परंतु सेठ को यह इंसानियत का काम लगा कोई महायज्ञ नहीं। सेठ ने कहा कि मैं अपनी इंसानियत नहीं बेचूंगा।

PLEASE YRR BRAINLIEST MARK KR DENA!!

BHOT TIME LGA ITNA BDA HINDI KA ANSWER TYPE KRNE ME!!

Answered by krishbadgujar
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Answer:

कहानी महायज्ञ का पुरस्कार में सेठ जब धन्ना सेठ के पास यज्ञ बेचने गए थे तो उस समय की सारी घटना वापस आकर उन्होंने अपनी सेठानी को आद्योपांत सुनाई। सीखने सीखने सिखाने को बताया कि जो चार रोटियां सेठानी ने सेठ को खाने को दिए थे , सेठ इन रोटियों को खाने ही वाले थे कि उन्हें वही रास्ते में एक मड़ियल सा कुत्ता मिल गया। वह भूख से छटपटा रहा था। उसमें जरा सी भी मिलने की भी ताकत नहीं बची थी। इसीलिए सेठ ने उस कुत्ते को पहले एक रोटी खिलाई। सेठ बाकी रोटियां खाने वाले थे कि उन्होंने देखा कि कुत्ता अभी भी भूखा है और मिल नहीं पा रहा। इसलिए सेठ ने बारी बारी करके कुत्ते को साड़ी रोटियां खिला दी और खुद पानी पीकर रह गए। सेठ जब धन्ना सेठ के यहां यज्ञ बेचने पहुंचे तब वहां धन्ना सेठ की पत्नी ने सेठ से महायज्ञ भेजने को कहा। सेठ ने कहा मैंने बहुत सालों से कोई महायज्ञ नहीं किया। परंतु धन्ना सेठ की सेठानी ने कहा कि आपने रास्ते में खुद भूखे रहकर कितने को चारों रोटियां खिलाई यह किसी महायज्ञ से कम नहीं। हमें वही महायज्ञ खरीदना है। परंतु सेठ को यह इंसानियत का काम लगा कोई महायज्ञ नहीं। सेठ ने कहा कि मैं अपनी इंसानियत नहीं बेचूंगा।

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