Hindi, asked by puranpatek58, 2 months ago

स्थानान्तरित कृषि की अवधारणा को समझाइए तथा
इसके विभिन्न चरणों की व्याख्या कीजिए।​

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Answered by kushdahiya80
7

Explanation:

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स्थानान्तरी कृषि अथवा स्थानान्तरणीय कृषि (अंग्रेज़ी: Shifting cultivation) कृषि का एक प्रकार है जिसमें कोई भूमि का टुकड़ा कुछ समय तक फसल लेने के लिये चुना जाता है और उपजाऊपन कम होने के बाद इसका परित्याग कर दूसरे टुकड़े को ऐसी ही कृषि के लिये चुन लिया जाता है। पहले के चुने गये टुकड़े पर वापस प्राकृतिक वनस्पति का विकास होता है। आम तौर पर १० से १२ वर्ष, और कभी कभी ४०-५० की अवधि में जमीन का पहला टुकड़ा प्राकृतिक वनस्पति से पुनः आच्छादित हो कर सफाई और कृषि के लिये तैयार हो जाता है।

झूम कृषि भी एक प्रकार की स्थानान्तरी कृषि ही है। इसके पर्यावरणीय प्रभावों को देखते हुए भारत के कुछ हिस्सों में इस पर प्रतिबन्ध भी आयद किया गया है

स्थानांतरित कृषि का भविष्य:

स्थानांतरित कृषि से मृदा अपरदन तथा वनों का हास्य होता है जिस कारण प्रायः इसकी आलोचना की जाती है। फिर भी यह सबसे पुरानी कृषि पद्धति है और हजारों वर्षों से चली आ रही है। यदि यह कृषि एक निश्चित सीमा तक की जाए जिससे मृदा तथा वनस्पति प्राकृतिक प्रक्रिया द्वारा अपनी पूर्व स्थिति में आ जाएं और परिस्थितिक तंत्र का संतुलन ना बिगड़े तो इस कृषि के विरुद्ध कोई आपत्ति नहीं है। अतः यह विचार की स्थानांतरित केसी हर परिस्थिति में हानिकारक है न्याय संगत नहीं है। परंतु पिछले कुछ दशकों में अफ्रीका लैटिन अमेरिका तथा एशिया के स्थानांतरित कृषि वाले इलाकों में जनसंख्या बड़ी तीव्र गति से बढ़ रही है। इससे स्थानांतरित कृषि वाली वन्य भूमि पर भार अत्यधिक बढ़ गया है जिसे वन करने में यह प्रदेश असमर्थ हैं। स्थानांतरित कृषि एक विस्तृत कैसी है जिसमें लगभग 90% भूमि प्रति छोड़नी चाहिए ताकि मृदा और वन संपदा को सहन शक्ति से अधिक हानि न पहुंचे। परंतु तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या की उदर पूर्ति के लिए उन भू भागो में भी कृषि की जाने लगी है जिन्हें प्रति छोड़ देना चाहिए।इससे मृदा तथा वन संपदा की हानि होती है और मृदा की उपजाऊ शक्ति कम होती है कृषि उपज में कमी आती है। कुछ प्रदेशों में तो भूमि पूर्णतया बंजर हो जाती है और किसी के लिए स्थाई रूप से अयोग्य हो जाती है।

स्थानांतरित कृषि की विशेषताएं:

1.इसमें फसलों के हेरफेर के स्थान पर खेतों का हेरफेर होता है। 2. खेतों का औसत आकार 0.5 से 1.5 हेक्टेयर तक होता है। 3. कई फसलें एक साथ हो गाई जाती है। कुछ जोड़ों वाली फसलें होती है। 4.विभिन्न प्रकार की फसलों के उगाने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है। 5.यदि यदि निश्चित सीमा तक किसी की जाए तो मृदा अपरदन नहीं होता। 6. खेत इधर-उधर बिखरे हुए होते हैं। 7. मुख्यतः खाद्य फसलें उगाई जाती हैं।

Answered by dinejmarkande5
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