स्थिर विनिमय दरों के पक्ष में तर्क दीजिए।
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Explanation:
विनिमय दर दो अलग अलग मुद्राओं की सापेक्ष कीमत होती है, अर्थात एक मुद्रा के पदों में दूसरी मुद्रा के मूल्य की माप है। किन्हीं दो मुद्राओं के मध्य विनिमय की दर उनकी पारस्परिक माँग(Demand) और आपूर्ति के आधार पर निर्धारित होती है।
स्थिर विनिमय दर
Explanation:
विनिमय दर वह दर होती है जिसके द्वारा यह मापा जाता है कि एक देश की मुद्रा का मूल्य दूसरे देश की मुद्रा में कितना है।
यह किसी देश की मुद्रा की मांग तथा आपूर्ति के आधार पर तय किया जाता है। इसको तय करने में सरकारी हस्तक्षेप होता है मगर बहुत ही कम होता है। इस दर को ज्ञात करने का मुख्य कारण 2 देशों की मुद्रा का आपस में तुलना करना भी करना है।
स्थिर विनिमय दर की आवश्यकता
किसी भी अर्थव्यवस्था में जिनमें दर का एक अहम पहलू होता है। क्योंकि जितना एक अर्थव्यवस्था के लिए घरेलू उत्पाद जरूरी होता है उतना ही आयात तथा निर्यात भी होता है। विनिमय दर बहुत ही लचीली होती हैं यह समय-समय पर घटती बढ़ती रहती है, इनके स्थिर रहने की आवश्यकता हमें पड़ती है जब हम आयात करते हैं और हमें उस देश की मुद्रा में भुगतान करना पड़ता है। यदि इस देश की मुद्रा का मूल्य बहुत अधिक हुआ तो हमें बहुत ही अधिक पैसे देने होंगे। और जब हम किसी देश से निर्यात करते हैं तो वह देश हमें अपने देश की मुद्रा में भुगतान करता है। यह ये दर जितनी ज्यादा होगी उतना ही हमें भुगतान मिलेगा। इन दोनों के बीच हमें संतुलन बनाकर चलना चाहिए। इसलिए विनिमय दर का स्थिर रहना बहुत आवश्यक है।