सेंद्रिय खेती कि जानकारी बताओ
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जैविक खेती प्रदूषण मुक्त पर्यावरणीय में फसलों को विकास और पोषक तत्व प्रदान करने के लिए केवल जैविक सामग्री और जैव-उर्वरकों का उपयोग करने पर जोर देती है। हालांकि भारत में, अच्छे एवं स्वस्थ फसल उत्पादन प्राप्त करने के लिए प्राचीन समय से ही जैविक खेती का पालन किया जाता रहा है।
फसल परिक्रमण इस तरह की खेती के मुख्य घटको में से एक है। जैविक खेती के फसल परिक्रमण द्वारा मिट्टी को स्वस्थ एवं उर्वरक बनाए रखने का अत्यधिक प्रयास किया जाता है। प्रत्येक फसल के बाद, किसान वायुमंडलीय नाइट्रोज (फसल उत्पादन के लिए आवश्यक एक महत्वपूर्ण खनिज) के साथ मिट्टी को पुनर्भरण करने के लिए फसलों के साथ अन्य फलदार पौधों को भी उगाते हैं। ये फलदार पौधे अपनी जड़ों की ग्रंथि के माध्यम से मिट्टी में नाइट्रोजन का पुनर्भरण कर उन्हें एक बार फिर उपजाऊ बना देते हैं।
जैविक खेती के प्रकार (Types of Organic Farming)
भारत एक विशाल देश है और जैविक खेती का देश भर में विभिन्न तरीको से उपयोग किया जाता हैं और यह काफी हद तक देश की लंबाई और चौड़ाई में प्रचलित मिट्टी और मौसम की स्थिति पर निर्भर करता है। जैविक खेती के प्रमुख दो निम्नलिखित प्रकार हैं:
1.जैविक खेती का एकीकृत तरीका
देश भर में एकीकृत जैविक खेती का पालन किया जाता है। पोषक तत्व प्रबंधन और कीट प्रबंधन का एकीकृत तरीका इस तरह के जैविक खेती के दो प्रमुख आधार हैं। प्रचीन समय से ही भारतीय गांवों में जैविक खेती के एकीकृत तरीको का पालन किया जाता रहा है। इस विधि के अनुसार, किसान प्राकृतिक संसाधनों से सभी आवश्यक पोषक तत्वों को एकीकृत कर फसलों के पूर्ण पौष्टिक मूल्य को बनाये रखने में मदद करते हैं। इसके अलाव, वो पौधों को कीटों से क्षतिग्रस्त होने से रोकने के लिए प्राकृतिक तरीके का इस्तेमाल करते हैं।
जैविक खेती के एकीकृत तरीकों से फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने नए वैज्ञानिक विकास के माध्यम से किसानों को शिक्षित और प्रशिक्षित कराने के लिए किसान जागरूकता अभियान की शुरूआत की है। नतीजतन, एकीकृत जैविक खेती अत्यधिक लोकप्रिय हो गई है जिसके परिणामस्वरूप उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे पहाड़ी क्षेत्रों के फसल पैदावार में सुधार हो गया है। एकीकृत जैविक खेती के माध्यम से कृषि में सुधार लाने के लिए मेघालय को एक शानदार उदाहरण के रुप में पेश किया जा रहा है।
इसके अलावा, भारत में विभिन्न कृषि संस्थानों में एकीकृत खेती में सुधार के लिए प्रगतिशील शोध के माध्यम से सम्मलित प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप फसल परिक्रमण, डबल और ट्रिपल फसल प्रणालियां जैसे एकीकृत कृषि पद्धतियों का व्यापक रुप से उपयोग हुआ है, हालांकि जैविक खेती के एकीकृत तरीकों के माध्यम से किसान वर्षों बाद अपनी आय बढ़ाने में सक्षम हो पाया है।
2. जैविक खेती का शुद्ध रूप जैविक खेती एक ऐसी कृषि विधि है, जिसमें किसान खेती के लिए केवल जैविक खाद और कीटनाशकों का उपयोग करता हैं। विशेष रूप से इस तरह की खेती में उपयोग किये जाने वाले कीटनाशक रासायन मुक्त होते हैं। ये कीटनाशक नीम जैसे प्राकृतिक पदार्थों के माध्यम से बने होते हैं। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि रासायनिक कीटनाशकों को किसी भी तरह के अजैविक रसायनों से पूर्ण बचाव के लिए जैविक खेती के शुद्ध रूप का उपयोंग किया जाता है।
3. विभिन्न कृषि प्रणालियों का एकीकरण विभिन्न कृषि प्रणालियों के एकीकरण में नियमित फसल घटकों के साथ-साथ मुर्गी पालन, मशरूम उत्पादन, बकरी तथा मछली पालन आदि जैसे कई अन्य घटक भी शामिल किये जाते हैं।
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