स्थैर्य सर्वेषु कृत्येषु शंसन्ति नयपण्डिताः।
बह्वन्तराय युक्तस्य धर्मस्य त्वरिता गतिः ।। 5।।
इसका हिंदी अर्थ क्या होता हैं कृप्या करके बताये
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कई बार लोगो की शिकायत होती है,की फलाना काम पूरा हो चूका था बस पूरा होते होते रह गया.या हमारे काम पूर्णता तक पहुँचते ही रुक जाते है.ये जीवन में बड़ रही नकारात्मक ऊर्जा के कारण होता है.जो की हमारे द्वारा किये जा रहे परिश्रम का फल पूर्ण रूप से हम तक पहुचने नहीं देती है.और इसी कारण कई लोगो के कार्य होते होते अटक जाते है.और ये जीवन की गंभीर समस्याओं में से एक है की परिश्रम का फल मिलते मिलते रह जाये।
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