Hindi, asked by krishnanrnair5150, 1 year ago

संदेश of नया रास्ता सुषमा अगरवाल

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Answered by Arinkishore
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Hey user,

नया रास्ता का यह संदेश है कि समानता के अधिकार के लिए संघर्ष करे और कभी हार न माने चाहे कितनी भी मुसीबत आये।
Answered by Ramneek10
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इस इस उपन्यास की मुख्य पात्रा मीनू एक मध्यवर्गीय परिवार की उच्च शिक्षित युवती है। वह मीरापुर में रहती है और दयाराम जी की पहली संतान है। घर के कार्यों पढ़ाई और गीत संगीत में निपुण। उसने एम.ए. की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की है। यद्यपि वह सुंदर, घर के कामों में निपुण, पढ़ी-लिखी, प्रतिभाशाली, योग्य और प्रगतिशील विचारधारा वाली स्त्री थी, किंतु उसके सांवले रंग और दहेज ना दे पाने के कारण उसका विवाह नहीं हो पाता था। इसी कारण उसमें हीन भावना थी क्योंकि उसकी सहेली नीलिमा और बहन आशा उससे बहुत ज्यादा सुंदर थीं। एक दिन मीनू को देखने के लिए मेरठ से अमित अपने परिवार के साथ आया था। मीनू को देखकर अमित संतुष्ट था। परंतु मेरठ पहुंचते हैं एक धनाढ्य परिवार की लड़की सरिता का रिश्ता अमित के लिए आया। अमित की मां धन के लालच में अमित और उसके पिता को उकसाने लगी क्योंकि सरिता के पिता धनीमाल जी पांच लाख दहेज़ देने वाले थे। उन्होंने मीनू को अस्वीकार कर दिया किंतु अमित इस बात से दुखी था और उसके पिता मायाराम जी को भी यह बात उचित ना लगी।

जब मीनू को इस बात का पता चला तो ऐसी स्थिति में मीनू अपने लिये एक नया रास्ता चुनती है और वह विवाह न करने का फैसला करती है तथा वकालत पढ़ने का फैसला लेती है। इसके लिए वह मेरठ में दाखिला लेती है। उसकी सहेली नीलिमा का विवाह भी मेरठ के सुरेंद्र जी के साथ हो जाता है।

एक दिन वह नीलिमा और सुरेंद्र के घर उनके पुत्र के नामकरण संस्कार में जाती है । वहां नीलिमा से उसे पता चलता है कि अमित सुरेंद्र का घनिष्ठ मित्र है और उसने सरिता से विवाह नहीं किया क्योंकि धनीमाल जी सरिता को दहेज में एक फ्लैट देने की बात कर रहे थे। अमित अपने माता पिता से दूर नहीं रहना चाहता था और उसे मीरापुर में एक लड़की पसंद आई थी परंतु उसके माता-पिता की गलती की वजह से उसका विवाह नहीं हो पाया। उसकी अभी भी यही इच्छा थी कि यदि वह लड़की अभी भी अविवाहित हो तो वह उससे विवाह कर ले। यह बातें सुनकर मीनू के ह्रदय में अमित के लिए जो घृणा भावना थी, वह कम हो जाती है। नीलिमा अमित और मीनू के रिश्ते के बारे में नहीं जानती थी। अमित को भी नीलिमा से यह पता चलता है कि मीनू मेरठ में ही वकालत पढ़ रही है और उससे घृणा करती है। यह सब बातें सुनकर अमित को बहुत दुख होता है और वह निर्णय लेता है कि सही समय पर वह मीनू से बात करेगा।

मीनू वकालत की परीक्षा पास कर मेरठ में प्रैक्टिस शुरू कर देती है और एक प्रसिद्ध वकील बन जाती है। इससे पता चलता है कि अमित का एक्सीडेंट हो गया है और वह उससे मिलने चली जाती है जहां अमित की मां मीनू के वकील बनने पर प्रसन्न होती है और उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है।

अमित के ठीक होने पर उसके पिताजी अमित का रिश्ता लेकर दयाराम जी से मिलने मीरापुर जाते हैं और अमित और मीनू के विवाह की बात करते हैं। दयाराम जी इस बात से प्रसन्न होते हैं और मीनू रिश्ते के लिए हां कह देती है। अंत में मीनू और अमित का विवाह हो जाता है। इस प्रकार मीनू यह सिद्ध कर देती है की लड़की का केवल रंग रूप और वह कितना दहेज दे सकती है यह उसका जीवन निर्धारित नहीं करता उसकी योग्यता और प्रतिभा अधिक महत्व रखती है।

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