सिद्ध किजिए कि “रोड़ की हड्डी हास्य एकांकी है।
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ye koi hasya vyang yekanki nahi Hai ...
★हास्य एकांकी है। इसमें हास्य और व्यंग्य के दोनों तत्व विद्यमान है। एकांकी का आरंभ हल्के-फुल्के दृश्य से होता है। मालिक और नौकर की नोक-झोंक विनोदपूर्ण है। नौकर की मूर्खतापूर्ण बातें और रामस्वरूप के करारे उत्तर हंसी पैदा करते हैं। नौकर का अपनी मूर्खता पर खुद हंसना, मालिक के आदेश का गलत अर्थ लेना, बिछाने की चादर की बजाय मालिक की धोती मांगना ऐसे दृश्य हैं जो पाठक को हंसने पर मजबूर कर देते हैं।
हंसी के तत्व एकांकी के मुख्य प्रसंग में भी हैं। गोपाल प्रसाद जानबूझकर मनोरंजक प्रसंग उठाता है। वह दर्जनों कचौडिया उठाने की बात करता है। खूबसूरती पर टैक्स लगाने का सुझाव देता है। नर-नारी की समानता पर फूहड़ तर्क देता है। यह सभी संवाद यहां से उत्पन्न करते हैं।
रामस्वरूप और उसकी पत्नी प्रेमा के प्रसंग भी हास्य जनक है। पति का पत्नी को बार-बार मूर्ख कहना, ग्रामोफोन कहना, पत्नी का स्वयं को मूर्ख मान लेना हास्याजनक प्रसंग है।
एकांकी का अंत व्यंग्य से होता है। जब उमा गोपाल प्रसाद तथा शंकर को आड़े हाथों लेते हैं तो हंसी व्यंग्य की चोट में बदल जाती है। इस प्रकार हम एस एकांकी को हास्य एकांकी कह सकते हैं।
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