स्थायी कृषि के प्रभाव से कैसा जमाखोरी संभव हुआ ?
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स्थाई कृषि या टिकाऊ खेती या संधारणीय कृषि (Sustainable agriculture) पादप एवं जानवरों के उत्पादन की समन्वित कृषि प्रणाली है जो पर्यावरणीय सिद्धान्तों को ध्यान में रखकर की जाती है। संधारणीय कृषि दीर्घावधि में :
- मानव के भोजन एवं रेशों (फाइबर) की आवश्यकताओं की पूर्ति करेगी;
- अनवीकरणीय उर्जा के स्रोतों का अधिकतम दक्षता के साथ कम से कम उपयोग करेगी।
- जहाँ सम्भव होगा प्राकृतिक जैविक चक्रों एवं नियंत्रणों को अन्य संसाधनों के साथ मिश्रित करके उपयोग करेगी;
- कृषि कार्यों को आर्थिक रूप से स्वपोषित (Sustainanable) बनायेगी।
21 वीं सदी में टिकाऊ खेती के निम्नलिखित बातों पर विषेष ध्यान देना होगा-
- फसल प्रणाली के साथ- साथ एग्री-बिजनैस आधारित खेती में विविधीकरण करना जिसमें फसल + डेयरी/पषुपालन/बकरी/मत्स्य/मुर्गी /बत्तख/कछुआ/तीतर/बटेरपालन/बागवानी, औषधीय एवं सुगंध पौधे, फूल, फल सब्जियाँ, मषरुम, रेषम आदि ताकि आमदनी बढ़े।
- प्रमुख स्रोतों- ऊर्जा, जल, भूमि एवं मानव शक्ति (श्रम) को सुव्यवस्थित ढ़ंग से संगठित करना होगा।
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स्थाई कृषि के प्रभाव से कैसा जमाखोरी संभव है
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