Hindi, asked by ritpandey720, 1 month ago

संदर्भ प्रसंग सहित व्याकरण कीजिए :-
घाम छाँव के खेल तो होवत रहिये रोज ।
एकर संसोछोङ के,रहा नवा तै खोज।​

Answers

Answered by shubhamkhape455
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Answer:

प्रस्तुत अवतरण ‘तिमिर गेह में किरण आचरण’ से उद्धृत है। इसके लेखक डा. श्याम सुन्दर दुबे है।

प्रसंग:- जीवन में सृजन के प्रकाश की आवश्यकता को दर्शाया है।

व्याख्या:- सृजन अर्थात निर्माण की आवश्यकता और आकांक्षा मनुष्य को स्वयं के अ ंदर से ही प्राप्त होती है। मनुष्य अपने आचरण, शील, श्रम, विवेक और कार्य संपादन की अभिलाषा से जो भी कार्य करेगा वे अवश्य ही पूर्ण होंगे।

अंधकार में प्रकाश का सृजन मनुष्य के द्वारा ही संभव है। गेहूं के उगते हुए पीताभ नन्हें पौधे यह संदेश देते हंै कि निंरतर सृजन अथवा निर्माण प्रकृति का शाश्वत नियम है।

विशेष:-

1. सृजन की पे्ररणा मनुष्य को अपने अंदर से प्राप्त होती है।

2. लेखक ने गेहूं के नन्हें पौधों के माध्यम से निरंतर कर्मरत रहने की प्रेरणा दी है।

Answered by abcdefghij69
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Answer:

(6) दिए गए काव्य पंक्तियों में अलंकार का नाम बताएँ। 1×3=3

(क) काली सड़कें तारकोल की, अंगारे-सी जली पड़ी थी।

(ख) तरणि-तनूजा तट-तमाल तरुवर बहु छाए।

(ग) पायोजी मैंने राम रतन धन पायो।

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