Hindi, asked by riyakushwah2809, 1 month ago

संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या कबीर सुमिरन सार है और संकल्प जंजाल आधी आधी सब सोदिया दूजा देखो काल तू तू करता तू भैया मुझ में रही हूं वाली पीढ़ी बली गई जित देखूं तित तू
please tell correct answer in hindi ​

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Answered by shishir303
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संदर्भ : ये दोनों दोहे कबीर द्वारा रचित दोहे है, इन दोहों के माध्यम से कबीर ज्ञान की बातें कही हैं।

कबीर सुमिरण सार है, और सकल जंजाल।

आदि अंति सब सोधिया दूजा देखौं काल॥

भावार्थ : कबीर कहते हैं कि ईश्वर का नाम सुमिरन करना ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। ईश्वर के नाम के अंतर्गत कुछ भी स्मरण करना कष्टदायक है, झंझट भरा है। कवि कहते हैं कि उन्होंने शुरू से लेकर आखिर तक सभी को देख-परख लिया है, उन्होंने अच्छी तरह खोजबीन कर ली है और उन्होंने अपने अनुभवों से यह जान लिया है कि अन्य सभी मार्ग कारण दुखों के कारण हैं, भक्ति का मार्ग ही सच्चा मार्ग है, और ईश्वर के नाम का सुमिरन करना ही सच्चा सुख है।

तूँ तूँ करता तू भया, मुझ मैं रही न हूँ।

वारी फेरी बलि गई, जित देखौं तित तूँ॥

भावार्थ : कबीर कहते हैं कि मुझ में अहंकार समाप्त हो गया है। मेरे अंदर मैं वाला अहंकार समाप्त हो गया है और अब मैं तू तू करता तेरे ऊपर ही अर्थात ईश्वर के ऊपर ही न्योछावर हो गया हूँ। अब मैं जिधर देखता हूँ, उधर तू ही तू दिखाई देता है अर्थात कबीर को सारा जगत ईश्वरमय और ब्रह्ममय में दिखाई देता है। सब जगह ईश्वर ही दिखाई देते हैं उनके अंदर मैं का भाव समाप्त होकर ईश्वरत्व का भाव उत्पन्न हो गया है।

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