Hindi, asked by sahilpatil26122006, 1 month ago

सुंदर प्रतिभा, मनभावनी चाल और स्वच्छंद प्रकृति ये ही दो-चार बातें देखकर मित्रता की जाती है। पर जीवन संग्राम में साथ देने वाले मित्रों में इनसे कुछ अधिक बातें चाहिए। मित्र केवल उसे नहीं कहते, जिसके गुणों की तो हम प्रशंसा करें, पर जिसे हम स्नेह न कर सकें। जिससे हम अपने छोटे काम को तो निकालते जाएँ, पर भीतर ही भीतर घृणा करते रहें। मित्र सच्चे पथ-प्रदर्शक के समान होना चाहिए, जिस पर हम पूरा विश्वास कर सकें। मित्र भाई के समान होना चाहिए, जिसे हम अपना प्रीतिपात्र बना सकें। हमारे और मित्र के बीच सच्ची सहानुभूति होनी चाहिए, ऐसी सहानुभूति जिससे दोनों मित्र एक-दूसरे की बराबर खोज-खबर लें। ऐसी सहानुभूति, जिससे एक के हानि लाभ को दूसरा अपना हानि-लाभ समझे। मित्रता के लिए आवश्यक नहीं है कि दोनों मित्र एक ही प्रकार का कार्य करते हों या एक ही रुचि के हों। दो भिन्न प्रकृति के मनुष्यों में भी बराबर की प्रीति और मित्रता देखी जाती है।​

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Answered by watchyourmovies
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Answered by kingrk92
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