साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय,
सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय
is dohe ka arth samjhaiye .....
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इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है
जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप
होता है. जो सार्थक को बचा लेंगे और
निरर्थक को उड़ा देंगे.
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इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है
जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप
होता है. जो सार्थक को बचा लेंगे और
निरर्थक को उड़ा देंगे.
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