सुधा अरोड़ा जी का राखी बांधकर लौटती हुई बहन कविता का सारांश
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सुधा अरोड़ा द्वारा लिखित राखी बांधकर लौट रही सुधा अरोरा जी की बहन कविता का सारांश
सुधा अरोड़ा ने अपनी बहन के भाई की कलाई पर राखी बांधकर लौटने के बारे में लिखा। सुधा ने त्योहार की खुशी और उत्साह का वर्णन किया, जो भाई-बहन के बीच के बंधन को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। उन्होंने लिखा कि कैसे उनकी बहन ने इस शुभ दिन पर अपने भाई के साथ मिलने के लिए लंबी दूरी तय की थी।
सुधा की बहन सबके लिए तोहफे लेकर पहुंची और सबने साथ में स्वादिष्ट भोजन किया। सुधा ने व्यक्त किया कि वह लंबे समय के बाद अपनी बहन को देखकर कितनी खुश हैं और कैसे यह त्योहार उनके परिवार के लिए हमेशा खास रहा है। उन्होंने उस समय को याद किया जब वे बच्चे थे और कैसे वे इस दिन के आने का बेसब्री से इंतजार करते थे।
सुधा ने उस भावनात्मक क्षण को भी साझा किया जब उनकी बहन ने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी। उन्होंने बताया कि किस तरह से यह रस्म सुरक्षा और प्यार के वादे को दर्शाती है जो एक भाई अपनी बहन को देता है। सुधा और उनके परिवार ने इस परंपरा के लिए आभारी महसूस किया जिसने उन्हें अपने जीवन में भाई-बहनों के महत्व की याद दिलाई।
सुधा अरोड़ा का अपनी बहन का राखी बांधकर लौटना, रक्षा बंधन के त्योहार के लिए एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि थी। यह इस त्योहार के आनंद और एकजुटता को दर्शाता है l
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