Hindi, asked by sahooreena691, 3 months ago

साधु भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं।
धन का भूखा जो फिरै, सो तो साधु नाहिं।।
long question hai please jaldi jaldi answer send karo
urgent hai​

Answers

Answered by nishanikumari23
7

Answer:

A:-साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं। ... अर्थ : कबीर दास जीं कहते हैं कि संतजन तो भाव के भूखे होते हैं, और धन का लोभ उनको नहीं होता । जो धन का भूखा बनकर घूमता है वह साधू हो ही नहीं सकता

B:-साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं। धन का भूखा जी फिरै, सो तो साधू नाहिं।। अर्थ : कबीर दास जीं कहते हैं कि संतजन तो भाव के भूखे होते हैं, और धन का लोभ उनको नहीं होता । जो धन का भूखा बनकर घूमता है वह साधू हो ही नहीं सकता।

Explanation:

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Answered by Anonymous
13

Answer:

साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं। अर्थ : कबीर दास जीं कहते हैं कि संतजन तो भाव के भूखे होते हैं, और धन का लोभ उनको नहीं होता । ... जो धन का भूखा बनकर घूमता है वह साधू हो ही नहीं सकता।

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