सुधा भरने को विधु के पास।
और उस मुख पर वह मुसक्यान
रक्त किसलय पर ले विश्राम
अरूण की एक किरण अम्लान
अधिक असलाई हो अभिराम
कही मनु ने, नभ धरणी बीच
बना जीवन रहस्य निरूपाय
एक उल्का-सा जलता भ्रान्त
शून्य में फिरता हूँ असहाय
"कौन हो तुम वसन्त के दूत
बिरस पतझड़ में अति सुकुमार
घन तिमिर में चपला की रेख
तपन में शीतल मन्द बयार!'
उपरोक्त पद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
क) कवि ने श्रद्धा के बालों की तुलना किससे की है?
ख) श्रद्धा की मुस्कान का वर्णन करते हुए कवि क्या कहता है?
ग) मनु श्रद्धा से क्या कहता है?
घ) मनु श्रद्धा की समानता किस-किस के साथ प्रकट करता है?
ङ) विधु, तिमिर, चपला, बयार शब्दों के अर्थ बताइए।
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1) श्रद्धा के वस्त्र गन्धार देश में पाई जाने वाली नीले बालों की भेड़ों की खाल से बने थे।
3) शीर्षक का नाम- श्रद्धा-मनु।। कवि का नाम-जयशंकर प्रसाद। (ii) रेखांकित अंश की व्याख्या-श्रद्धा मनु से कहती है कि जीवन के प्रति हताशा और निराशा को त्यागकर आपको लोक-मंगल के कार्यों में लगना चाहिए। इसके लिए सबसे महत्त्वपूर्ण और मुख्य कार्य संसार की विभिन्न शक्तियों में पारस्परिक समन्वय स्थापित करना है।
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