Hindi, asked by sajikv358, 4 months ago

सुधा चंद्रन की हार्दिक इच्छा थी -​

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Answered by hardik68727
0

Answer:

vs bad MF

Explanation:

dance krna ok BC dB had

Answered by Aashi6552
1

Answer:

sudha chandran ki jivani hindi

सुधा चंद्रन का जन्म 21 सितम्बर 1964 को केरल राज्य में हुआ था. सुधा जी एक मध्यवर्गीय परिवार की रहने वाली थी लेकिन फिर भी उनके माता पिता ने सुधा जी को मुंबई से उच्च शिक्षा दिलाई.

बचपन से ही सुधा जी का डांस करने का शौक था इसलिए मात्र 3 वर्ष की उम्र में उन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्य सीखना आरम्भ किया. वे अपनी स्कूल की पढाई पूरी कर डांस सिखने जाया करती थी.

5 साल की उम्र से लेकर 16 साल की उम्र तक उन्होंने 75 से अधिक स्टेज शो देकर भरतनाट्यम की उम्दा कलाकार के रूप में शोहरत हासिल कर ली थी. उन्हें अनेक राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके थे.

एक दिन जब वह अपने माता पिता के साथ तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में स्थित एक मंदिर से वापस बस में सफ़र कर लौट रही थी, तभी सामने से आ रहे ट्रक ने उनकी गाडी को जोर से टक्कर मारा. उस भयंकर दुर्घटना में बहुत से लोग घायल हो गए.

घायल लोगों को अस्पताल ले जाया गया और सुधा जी को अस्पताल ले जाने के बाद पता चला की उनके पैर की हड्डी टूट गयी है. डॉक्टर ने उनके पैर में पट्टी बाँधी.

कुछ क्षण बाद डॉक्टर ने कहा की सुधा जी के दाहिने पैर में गैंग्रीन जो एक संक्रमण जैसे होता है, वो दुर्भाग्यवश उनके टूटे हुए पैर में हो गया है जिसे वक़्त रहते कटा नहीं गया तो सुधा के जान को खतरा हो सकता है.

ये सुनते ही उनके माता पिता ने डॉक्टर से सुधा जी का पैर काटने की अनुमति दे दी. नृत्य की शौक़ीन लड़की चल फिर भी नहीं पाती थी. बिस्तर पर पड़े हुए अपने किस्मत को कोश्ती रहती थी.

उन्हें ये लगने लगा था की एक पैर के ना रहने से उनका भविष्य पूरी तरह से अन्धकार में चला गया है. जो लड़की कभी एक मशहूर डांसर बनने का ख्वाब देखती थी कुछ ही पल में उसकी दुनिया ही पलट गयी थी, ऐसा लगा जैसे सब कुछ ख़त्म हो गया.

सुधा की गंभीर अवस्था का बुरा असर उसके साथ-साथ उसके माँ बाप पर भी पड़ रहा था. समाज के लोग सुधा और उसके माँ-बाप को दया और रहम की नज़र से देखते थे.

उनके माता पिता दिन में बाहार निकलना पसंद नहीं करते थे और शब्जी लेने भी वो अक्सर रात को अँधेरे में जाया करते थे क्यूंकि लोग सुधा जी के विकलांगता को लेकर अप्रिय सवाल पूछते थे. लोगों के इस व्यवहार से सुधा जी को बहुत बुरा लगता था.

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