Hindi, asked by anukritimangla, 8 months ago

सिंधु घाटी की समयता के नष्ट होने के लिए किन-
२.
किन कारणों की संभावना बताई हैं।​

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Answered by narayanishutosh
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इस नए अध्ययन में हिन्दू मान्यता की पवित्र नदी सरस्वती के स्रोत और अस्तित्व को लेकर लंबे समय से जारी बहस को सुलझाने का भी दावा किया गया है।

इस अध्ययन में पुरातत्व विभाग और अत्याधुनिक भू-विज्ञान तकनीकों से जुड़े नए आंकड़े भी पेश किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि मानसून बारिश में आई कमी नदी के प्रवाह को कमजोर करने का कारण बनी, जिसने हड़प्पा संस्कृति के विकास और पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हड़प्पा संस्कृति अपने कृषि कार्यों के लिए पूरी तरह से नदी के प्रवाह पर निर्भर थी।

‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ आफ साइंसेज’ पत्रिका में छपे निष्कर्षों में अंतरराष्ट्रीय दल ने उपग्रह से हासिल तस्वीरों और स्थलाकृतिक आंकड़ों का उपयोग किया और सिंधु तथा उसके आसपास बहने वाली नदियों के प्रभाव क्षेत्र के डिजिटल मानचित्रों का विश्लेषण किया।

समय के साथ भू-भाग में आए बदलाव का पता लगाने के लिए तलछट के मूल स्रोतों का पता लगाने के लिए नमूने एकत्रित किए गए। इन नमूनों से यह भी पता लगाने की कोशिश की गई कि तलछट में नदियों या हवा के कारण समय के साथ क्या-क्या परिवर्तन आए।

अमेरिका में ‘वुड्स होल ओसियनोग्राफिक इंस्टीट्यूट’ में भू-विज्ञानी और इस अध्ययन के प्रमुख लिविउ जियोसन ने कहा कि हमने मैदानी क्षेत्र के भू-भाग को फिर से बनाने का प्रयास किया, जहां 5200 वर्ष पहले सिंधु घाटी सभ्यता विकसित हुई, इसके शहर बने और 3900 से 3000 वर्ष पहले धीरे-धीरे उनका पतन हो गया।

उन्होंने कहा कि हमारे अध्ययन में संकेत मिलते हैं कि मानसूनी बारिश में कमी आने से नदी का प्रवाह कमजोर पड़ा और इसने हडप्पा संस्कृति के विकास और पतन दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2003 से 2008 के बीच किए गए शोध में यह भी दावा किया गया कि पौराणिक सरस्वती नदी में हिमालय के ग्लेशियरों से पानी नहीं आता था जैसा कि माना जाता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि सरस्वती नदी में पानी मानसून की बारिश से आता था और जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा स्थिति से यह खास मौसम में बहने वाली नदी बनकर रह गई। (भाषा)

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