सिंधु घाटी सभ्यता
पाठ-3
अतीत की सबसे पहली तस्वीर कहाँ मिलती है।
1. भारत के अतीत
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atit ke jhalokhe par pk
भारत के अतीत की सबसे पहली तस्वीर सिंधु घाटी सभ्यता मिलती है। जिसके अवशेष सिंध में 'मोहनजोदड़ो' और पश्चिम पंजाब में 'हड़प्पा' में मिले हैं। इन खुदाई यों ने प्राचीन इतिहास की समझ में क्रांति ला दी है।
मोहनजोदड़ो और हड़प्पा एक-दूसरे से काफी दूरी पर हैं। दोनों स्थानों पर इन खंडहरों की खोज मात्र एक संयोग थी।
सिंधु घाटी की सभ्यता अपने आप में पूर्णरूप में विकसित थी |व वर्तमान का आधार प्रतीत होती है| यह सभ्यता सांस्कृतिक युगों की अग्रदूत बनी अथार्त इस सभ्यता के बाद में होने वाले सांस्कृतिक कार्य इसी के आधार पर हुए| इस सभ्यता के अवशेष इतनी दूर-दूर जगहों पर मिले हैं जैसे पश्चिम में काठियावाड़ में और पंजाब के अंबाला जिले में।
फारस , मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं में यह बेहतर थी| इसने इन सभी सभ्यताओं से व्यापारिक सम्बन्ध भी कायम किए|
सिंधु सभ्यता के लोग कला-प्रेमी थे | सिंधु सभ्यता में कला का उद्भाव ईसा-पूर्व तीसरी शताब्दी के उतराध में हुआ था| इस सभ्यता के विभिन्न स्थानों में कला के जो रूप मिले है उन में प्रतिमाएं मुहरे मिट्टी के बर्तन आभूषण , पक्की हुई मिट्टी की मूर्तियाँ आदि शामिल है| उस समय के कलाकारों में निश्चित रूप से उच्च कोटि की कलात्मक सूझ-बुझ और कल्पना शक्ति विद्यमान थी|
सिंधु सभ्यता से प्राप्त कला संबंधी वस्तुओं से हमें पता चलता है कि सिंधु घाटी के लोग साज़-श्रृंगार और सजने-सँवरने पे प्रति काफी जागरूक थे , उन में अपने बालो को बनाने की भी अनेक शैलियाँ प्रचलित थी| पुरुष दाड़ी मुछ रखते थे| स्त्रियाँ सुंदर दिखने के लिए सिंदूर , काजल , आभूषण और लाली का प्रयोग करती थी और उस समय के लोग सुती तथा वस्त्र भी बनाते थे| धोलावीरा में पत्थरों के ढांचों के अनेक अवशेष मिले है, जिन से पता चलता है की सिंधु सभ्यता के लोग अपने घरों के निर्माण के लिए पत्थरों का प्रयोग करते थे|