India Languages, asked by anushkasolomon25, 3 days ago

संधि कुरूत शरिरायासजननं​

Answers

Answered by seervimukeshmukesh59
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Explanation:

अत्यन्त समीपवर्ती दो वर्गों के मेल को सन्धि (Combination of Letters) कहते हैं। जैसे-‘विद्यालय:’ में विद्या व आलयः पदों के दो अत्यन्त समीपवर्ती आ वर्गों का मेल होकर एक आ हो गया है। सन्धि को पहिता भी कहते हैं। सन्धि और संयोग में अन्तर-दो व्यञ्जनों के अत्यन्त समीपवर्ती होने पर उनका मेल संयोग कहलाता है किन्तु संयोग की अवस्था में उन वर्गों के स्वरूप में परिवर्तन नहीं होता। सन्धि में परिवर्तन हो जाता है। वाक्चातुर्यं में क्, च् का संयोग है किन्तु वाङ्मयः में म् में सन्धि है (वाक् + मयः)।

सन्धि के नियम :

निकट होने के कारण दो वर्गों में कभी सुविधा से तो कभी शीघ्रता के परिणामस्वरूप परिवर्तन हा जाता है। यह परिवर्तन कई प्रकार का होता है; जैसे –

कभी दोनों के स्थान पर एक नया वर्ण बन जाता है

तत्र + उक्तः = तत्रोक्तः। (‘अ’ तथा ‘उ’ के मेल से नया वर्ण ‘ओ’ बन गया है।) –

कभी पूर्व वर्ण में परिवर्तन होता है

असि + अभिहतः = अस्याभिहतः। (असि के अंतिम वर्ण ‘इ’ को ‘अ’ परे होने पर ‘य’ हो गया है।) इसी प्रकार प्रति + एकं = प्रत्येकं। प्रति + उवाच = प्रत्युवाच।

सन्धि के भेद (Types of Sandhi)

सन्धि के निम्न तीन प्रकार हैं:

1. स्वर-सन्धि या अच् सन्धि (Combination of Vowels)

यदि दो समीपस्थ स्वरों में परिवर्तन हो तो उसे स्वर-सन्धि कहते हैं; जैसे-न + अवलेढि = नावलेढि (यहाँ ‘अ’ तथा ‘अ’ दोनों स्वरों में सन्धि की गई है।)

2. व्यञ्जन-सन्धि या हल सन्धि (Combination of Consonants)

यदि दो व्यञ्जनों में सन्धि की जाती है तो उसे व्यंजन-सन्धि कहेंगे। जैसे – जगत् + जननी = जगज्जननी (यहाँ त् तथा ज् व्यञ्जनों में सन्धि की गई है)। यदि पहला वर्ण व्यञ्जन हो और दूसरा वर्ण स्वर, तो व्यञ्जन में परिवर्तन होने के कारण इसे भी व्यञ्जन-सन्धि ही कहा जाता है; जैसे-जगत् + ईशः = जगदीशः (यहाँ ‘त्’ व्यञ्जन तथा ‘इ’ स्वर में सन्धि की गई है।)

I hope it will help you

Answered by prai63126
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Answer:

SORRY FOR THE INCONVENIENCE.

DIDN'T GOT YOUR WORDS PROPERLY.

PLEASE ASK AGAIN .

THANKS..

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