Hindi, asked by somenathlaskar, 1 month ago

साधु कहते थे- “ऐसा मत कहो। यह कितना बढ़िया उपर्दशक है। जब पर मुसीबत आने को होती है तो यह अपने शरीर को सिकोड़कर भीतर कर ले गंग है। गुड़मुड़ी मारकर बैठ जाता है। चाहे जितना हिलाओ-डुलाओ। उसका शरीर भी मंग तो भीतर।" “आदमी को भी कछुए की तरह सावधान रहना चाहिए। मुसीबत में चुपच गल बैठकर भले समय को आने देना चाहिए।" शुओं पत का पीन.
can tell this in English.​

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Answered by vithalrathod1012
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Explanation:

साधु कहते थे- “ऐसा मत कहो। यह कितना बढ़िया उपर्दशक है। जब पर मुसीबत आने को होती है तो यह अपने शरीर को सिकोड़कर भीतर कर ले गंग है। गुड़मुड़ी मारकर बैठ जाता है। चाहे जितना हिलाओ-डुलाओ। उसका शरीर भी मंग तो भीतर।" “आदमी को भी कछुए की तरह सावधान रहना चाहिए। मुसीबत में चुपच गल बैठकर भले समय को आने देना चाहिए।" शुओं पत का पीन.

can tell this in English.

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