India Languages, asked by harsht1769, 6 months ago

साधुओं का चरित्र अनुकरणीय है ट्रांसलेट इनटू संस्कृत​

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Answered by mrunalinividya
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   न' के सामान्यतया छः अर्थ गिनाये गये हैं : - (क) सादृश्य = समानता या सरूपता यथा 'अब्राह्मणः' ब्राह्मण के समान जनेऊ आदि पहने हुए परन्तु ब्राह्मण न होकर्, क्षत्रिय वैश्य आदि। (ख) अभाव = अनुपस्थिति, निषेध, अभाव, अविद्यमानता यथा अज्ञानम् ज्ञान का न होना, इसी प्रकार, अक्रोधः, अनंगः, अकंटकः, अघटः आदि। (ग) भिन्नता = अन्तर या भेद यथा 'अपटः' कपड़ा नहीं, कपड़े से भिन्न या अन्य कोई वस्तु। (घ) अल्पता = लघुता, न्यूनता, अल्पार्थवाची अव्यय के रूप में प्र्युक्त होता है-यथा 'अनुदरा' पतली कमर वाली कृशोदरी या तनुमध्यमा । (च) अप्राशअत्य = बुराई, अयोग्यता तथा लघूकरण का अर्थ प्रकट करना - यथा 'अकालः' गलत या अनुपयुक्त समय; 'अकार्यम्' न करने य्प्ग्य, अनुचित, अयोग्य या बुरा काम। (छ) विरोध = विरोधी प्रतिक्रिया, वैपरीत्य यथा 'अनीतिः' नीति-विरुद्धता, अनैतिकता, 'असित' जो श्वेत न हो, काला। उपर्युक्त छः अर्थ निम्नांकित श्लोक में एकत्र संकलित हैं - तत्सादृश्यमभावश्च तदन्यत्वं तदल्पता। अप्राशस्त्यं विरोधश्च नञर्थाः षट् प्रकीर्तिताः॥ दे॰ 'न' भी। कृदन्त शब्दों के सथ इसका अर्थ समान्यतः नहीं होता है यथा 'अदग्ध्वा' न जलाकर, 'अपश्यन्' न देखते हुए। इसी प्रकार 'असकृत्' एक बार नहीं। कभी-कभी 'अ' उत्तरपद के अर्थ को प्रभावित नहीं करता यथा 'अमूल्य', 'अनुत्तम', यथास्थान।

   अः—अव्य॰—-—अव्+ड—विस्म

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