सिंध पर अरब आक्रमण की व्याख्या करे। क्या यह परिणाम के बिना जीत थी?
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भारत के सिंध क्षेत्र पर अरबों के आक्रमण उमर के शासनकाल मे प्रारंभ हुआ। 643 ई. मे सिंध पर पहला आक्रमण हुआ। यह आक्रमण समुद्र से हुआ था। इसका उद्देश्य सिन्ध तट पर स्थित देबल के बन्दरगाह पर अधिकार करना था। सिंध पर दूसरा आक्रमण 660 ई. मे किया गया, परन्तु पहले और दूसरे दोनों ही आक्रमण असफल रहे।
Explanation:
सिंध क्षेत्र मे अरबों का सफल आक्रमण 711 ई. मे इराक के गवर्नर हज्जाज के समय हुआ। हज्जाज ने सबसे पहले उबैदुल्ला के सेनापतित्व मे तथा दूसरी बार बुदैल के सेनापतित्व मे सिंध के शासक दाहिर पर आक्रमण किया, लेकिन सिन्ध की सेना द्वारा सेनापति उबैदुल्ला और बुदैल मारे गये। तब हज्जाज ने व्यापक तैयारियों के साथ अपने भतीजे एवं दामाद मुहम्मद बिन-कासिन को 15 हजार सैनिको के साथ आक्रमण के लिए भेजा। इस समय सिंध का शासक दाहिर था जो कि योग्य सेनानायक नही था और न कुशल प्रशासक था। मुहम्मद बिन-कासिम का प्रथम आक्रमण देवल पर हुआ। देवल पर आसानी से उसका कब्जा हो गया।
मीर कासिम ने इस आक्रमण मे हिन्दुओं को मुसलमान बनाया और 17 बर्ष से अधिक के सभी पुरूषों की हत्या कर दी तथा बच्चों को अपना गुलाम बना लिया। नगर के सभी मंदिरों को तोड़ दिया गया।
निरूण और सेहबान पर आक्रमण : निरूण की अधिकांश जनता बौद्ध था तथा उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया। परन्तु यहां के जाटो ने संघर्ष किया। लेकिन वह पराजित हो गये।
दाहिर से युद्ध : राजा दाहिर ने अरबो को पराजित किया था। अतः मीर कासिम ने 712 ई. मे उस पर आक्रमण कर उसकी हत्या कर दी उसके पश्चात उसकी विधवा रानी ने संघर्ष किया और अंत मे आगे मे जलकर जौहर कर लिया। मीर कासिम ने दाहिर की दो पुत्रियों को पड़कर खलीफा के पास वासना-पूर्ति के लिये भेज दिया।
इसके बाद कासिम ने ब्राह्राणवाद पर अधिकार करने के लिए आक्रमण किया। दाहिरसेन के पुत्र जयसिंह ने कासिम का मुकाबला किया, परन्तु उसके कई मंत्री तथा अन्य लोग कासिम से मिल गये। अंततः जयसिंह परास्त हो गया। ब्राह्राणवाद के बाद कासिम ने राजधानी अलोट पर आक्रमण किया तथा वहां अरबो का अधिकार हो गया। 713 ई. मे बिन कासिम ने मुल्तान पर आक्रमण किया। यहां एक देशद्रोही के द्वारा दुर्ग के जल स्त्रोत का पता बता देने से वह मुल्तान को जीतने मे सफल हो गया। कासिम को यहाँ बहुत अधिक मात्रा मे सोना प्राप्त हुआ। इन विजयों के बाद कासिम पंजाब तथा कश्मीर तक जाना चाहता था, परन्तु इसी बीच उसकी हत्या करवा दी गई।
मुहम्मद बिन-कासिम की मृत्यु : कहा जाता है कि मोहम्मद बिन-कासिम ने दाहिर की दो कन्याओं को खलीफा के पास भेंट-स्वरूप भेजा था परन्तु जब ये कन्याएं उसके समक्ष प्रस्तुत की गई तो उन्होंने निवेदन किया वे इस योग्य नही है कारण कि मोहम्मद बिन कासिम ने खलीफा के पास भेजने से पहले ही उनका कौमार्य भंग कर दिया था। यह समाचार सुनकर ही खलीफा ने क्रोधित होकर आदेश दिया कि मोहम्मद बिन-कासिम को बेल की खाल मे सीकर हमारे समक्ष प्रस्तुत किया जाय, कासिम ने स्वयं को खाल से सिलवा दिया। खाल मे ही तीन दिन बाद वह परलोकगामी हो गया। खलीफा के आदेशानुसार वह खाल दोनों कन्याओं के समक्ष खोली गई। कन्याओं ने स्वीकार किया कि उनके द्वारा यह कार्य अपने पिता की हत्या के प्रतिरोध मे किया गया था। खलीफा ने क्रोधित होकर यह आदेश दिया कि दोनों को घोड़ो की पूंछ से बांधकर इनके प्राणांत तक घसीटा जाए। आदेश कार्यरूप मे परिणित हो गया।