सिंधु सभ्यता के लोग कला-प्रेमी थे, इस कथन को न्यायोचित ठहराएं।
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सिंधु सभ्यता के लोग कला-प्रेमी थे, इस कथन को न्यायोचित
सिंधु सभ्यता के लोग कला-प्रेमी थे | सिंधु सभ्यता में कला का उद्भाव ईसा-पूर्व तीसरी शताब्दी के उतराध में हुआ था| इस सभ्यता के विभिन्न स्थानों में कला के जो रूप मिले है उन में प्रतिमाएं मुहरे मिट्टी के बर्तन आभूषण , पक्की हुई मिट्टी की मूर्तियाँ आदि शामिल है| उस समय के कलाकारों में निश्चित रूप से उच्च कोटि की कलात्मक सूझ-बुझ और कल्पना शक्ति विद्यमान थी| उन के द्वारा बनाई गई मनुष्यों तथा पशुओं की मूर्तियाँ बहुत ही स्वाभाविक किस्म की है क्योंकि उस में अंगों की बनावट असली अंगों जैसी थी|
टेराकोटा में जानवरों की मूर्तियों का निर्माण बहुत ही सूझ-बुझ और सावधानी के साथ किया गया था| सिंधु घाटी सभ्यता के दो प्रमुख स्थल हड़पा तथा मोहनजोदड़ो सुन्दर नगर नियोजन की कला के प्राचीनतम उदाहरण थे| इन नगरों में जल निकासी की व्यवस्था भी काफी विकसित थी| इस सबसे हमें यह पता चलता है की सिंधु सभ्यता के लोगों को कला से कम प्रेम था|
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भारतीय कला का परिचय कक्षा -11
पाठ-2 सिंधु घाटी की कलाएँ
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सिंधु सभ्यता के लोग कला-प्रेमी थे, इस कथन को न्यायोचित ठहराएं।
Explanation:
सिंधु सभ्यता के लोग आज से 47 00फर्जी पुलिस थी उस जमाने के नगर मुख्य रूप से सिंधु नदी के मैदान में फले फुले थे इस सभ्यता की सबसे पहले खोज जाने वाले शहर का नाम रख पाए इसलिए इस सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता कहते हैंवर्ष पहले