संधि विच्छेद मयूराश्चं, प्रधानाचार्योण, तत्रैव
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संधि विच्छेद “मयूराश्चं, प्रधानाचार्योण, तत्रैव”
“मयूराश्च” की संधि होगी “मयूरा:+च” यहाँ पर संस्कृत व्याकरण सूत्र से विसर्ग को र् आदेश होगा फिर र् को स् आदेश होगा फिर “स्तो श्चुना श्चु:” सूत्र से “स् या तवर्ग से पहले या बाद में श् या चवर्ग कोई भी हो तो स् और तवर्ग को क्रमशः श् और चवर्ग आदेश हो जाते हैं I
“प्राधानाचायेण” शुद्ध शब्द है जिसकी संधि होगी “प्रधान+आचार्येण” यहाँ पर “अक: सवर्णे दीर्घ:” सूत्र से अ+आ के स्थान पर “आ” आदेश होने से “प्राधानाचायेण” शब्द बना I
“तत्रैव” शब्द कि संधि होगी “तत्र+एव” यहाँ पर “वृद्धिरादैच्” सूत्र अर्थात् अ या आ के बाद ए और ऐ हो तो दोनों के स्थान पर “ऐ” आदेश हो जाता है I
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