संध्या गीत एवं दीपशिखा के रचयिता
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संध्यागीत और दीपशिखा की रचनाकार महादेवी वर्मा हैं
Explanation:
महादेवी वर्मा एक भारतीय हिंदी भाषा की कवयित्री और उपन्यासकार थीं। उनका जन्म 26 मार्च, 1907 को उत्तर प्रदेश के एक हिंदू परिवार में हुआ था। वह हिन्दी साहित्य की आधुनिक कवयित्री होने के साथ-साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं, जिन्होंने अपने लेखन के माध्यम से महिलाओं के उत्थान के लिए काम किया। उनके उपन्यास दीपशिखा ने महिलाओं के अधिकारों को काफी हद तक प्रभावित किया और न केवल उनके पाठकों को बल्कि उनके आलोचकों को भी प्रेरित किया। कवि निराला ने उन्हें हिंदी साहित्य के विशाल मंदिर में सरस्वती के रूप में संदर्भित किया। संध्यागीत नामक उनका कविता संग्रह 1935 में प्रकाशित हुआ था।
उन्होंने खादी बोली की हिंदी कविता में एक नरम शब्दावली विकसित की, जिसे उनके पहले केवल ब्रज भाषा में ही संभव माना जाता था। इसके लिए उन्होंने संस्कृत और बांग्ला के नरम शब्दों को चुना और हिंदी को अपनाया। वह संगीत में पारंगत थी। वह एक कुशल चित्रकार और रचनात्मक अनुवादक भी थीं। उन्हें भारत में नारीवाद की अग्रदूत भी माना जाता है। गूगल ने 2007 में अपने गूगल डूडल के माध्यम से उनकी जन्मशती भी मनाई।