संध्या हुई अंधेरा छाया
रजनी ढली, सवेरा आया ।
पंख पंछियों ने फैलाए
मीठे-मीठे गाने गाए।
चुगते परं धरती पर दाने
बतलाते जीवन के माने । sanjna shabdh boliye
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djd sis sis si sos sj ssis sis sosnsos sisnso
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nice lines you have written
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