Hindi, asked by naseemchodri4, 4 months ago

संध्या के कुल कितने मंत्र हैं​

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Answered by Jsh79579
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Answer:

वैदिक संध्या पूर्णत वैज्ञानिक और प्राचीन काल से चली आ रही हैं। यह ऋषि-मुनियों के अनुभव पर आधारित हैं वैदिक संध्या की विधि से उसके प्रयोजन पर प्रकाश पड़ता है। मनुष्य में शरीर, इन्द्रिय, मन, बुद्धि, चित और अहंकार स्थित हैं। वैदिक संध्या में आचमन मंत्र से शरीर, इन्द्रिय स्पर्श और मार्जन मंत्र से इन्द्रियाँ, प्राणायाम मंत्र से मन, अघमर्षण मंत्र से बुद्धि, मनसा-परिक्रमा मंत्र से चित और उपस्थान मंत्र से अहंकार को सुस्थिति संपादन किया जाता है। फिर गायत्री मंत्र द्वारा ईश्वर की स्तुति-प्रार्थना और उपासना की जाती हैं। अंत में ईश्वर को नमस्कार किया जाता हैं। यह पूर्णत वैज्ञानिक विधि हैं जिससे व्यक्ति धार्मिक और सदाचारी बनता हैं, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को सिद्ध करता हैं।

हमें प्रात: व सायं मन, वचन और कर्म से पवित्र होकर संध्योपासना करनी चाहिए | प्रात: काल पूर्व की ओर मुख करके और सायं काल पश्चिम की ओर मुख करके संध्या करनी चाहिए |

|| गायत्री मन्त्र ||

ओ३म् भूर्भुव: स्व: | तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि |

धियो यो न: प्रचोदयात् ||

यजुर्वेद ३६.३

तूने हमें उत्पन्न किया, पालन कर रहा है तू |

तुझ से ही पाते प्राण हम, दुखियों के कष्ट हरता है तू ||

तेरा महान तेज है, छाया हुआ सभी स्थान |

सृष्टि की वस्तु वस्तु में, तू हो रहा है विद्यमान ||

तेरा ही धरते ध्यान हम, मांगते तेरी दया |

ईश्वर हमारी बुद्धि को, श्रेष्ठ मार्ग पर चला ||

|| अथ आचमन मन्त्र ||

निम्न मन्त्र से दायें हाथ में जल ले कर तीन बार आचमन करें |

ओ३म्‌ शन्नो देवीरभिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये। शंयोरभिस्रवन्तु नः॥

यजु. ३६.१२

सर्वप्रकाशक और सर्वव्यापक ईश्वर इच्छित फल और आनंद प्राप्ति के लिए हमारे लिए कल्याणकारी हो और हम पर सुख की वृष्टि करे|

(तीन प्रकार की शांति के लिए आचमन भी तीन बार किया जाता है| पहला आचमन अध्यात्मिक शांति के लिए| दूसरा आधि-भौतिक शांति के लिए और तीसरा आचमन आधि-दैविक शांति के लिए)

|| अथ इन्द्रिय स्पर्श ||

अब बायें हाथ में जल ले कर दायें हाथ की अनामिका व मध्यमा उंगलियों से इन्द्रिय स्पर्श करे | ऐसा करते समय ईश्वर से इन्द्रियों में बल व ओज की प्रार्थना करनी चाहिए |

ओ३म्‌ वाक् वाक्, ओ३म्‌ प्राण: प्राण:, ओ३म्‌ चक्षुश्चक्षु:, ओ३म्‌ श्रोत्रम् श्रोत्रम्, ओ३म्‌ नाभि:, ओ३म्‌ हृदयम, ओ३म्‌ कंठ:, ओ३म्‌ शिर:, ओ३म्‌ बाहुभ्यां यशोबलं, ओ३म्‌ करतल करप्रष्ठे |

हे ईश्वर! मेरी वाणी, प्राण, आंख, कान, नाभि, हृदय, कंठ, शिर, बाहु और हाथ के ऊपर और नीचे के भाग (अर्थात) सभी इन्द्रिया बलवान और यश्वाले हो|

|| मार्जन मन्त्र ||

ओ३म्‌ भू: पुनातु शिरसि, ओ३म्‌ भुव: पुनातु नेत्रयो:, ओ३म्‌ स्व: पुनातु कण्ठे, ओ३म्‌ मह: पुनातु हृदये, ओ३म्‌ जन: पुनातु नाभ्यां, ओ३म्‌ तप: पुनातु पादयो:, ओ३म्‌ सत्यम पुनातु पुन: शिरसि, ओ३म्‌ खं ब्रह्म पुनातु सर्वत्र |

हे ईश्वर! आप मेरे शिर, नेत्र, कंठ, हृदय, नाभि, पैर अर्थात समस्त शरीर को पवित्र करे |

|| अथ प्राणायाम मन्त्र ||

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Answered by Freefireheroic
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