संध्या सुंदरी में प्रकृती का मानवीकरण हुआ है विवेचन कीजिये |
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निराला जी अपनी कविता जीवन से जुड़ी वस्तुओं का समावेशन करते हैं। संध्या सुन्दरी' कविता में कवि निराला जी दिवासन के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कविता को रचित करते हैं। वह संध्या को एक सुन्दरी के रूप में प्रस्तुत करते हुए उसके सौंदर्य का वर्णन करते हैं। इस प्रकार बताते है रात्रि के समय आसमान बिल्कुल शांत हो जाता है।
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