साधक सहजता से किसमें समा सकता है ?
(क) नरक में
(ग) आग में
(ख) पानी में
(घ) सहज में
Answers
सही उत्तर है...
➲ सहज में
✎... जो तीन स - कारों यानी सहजता, सुंदरता तथा सानंदता के साथ कृत्य करने का प्रयत्न करता है, वही साधक कहलाता है। साधक के सामने जो दृश्यगत है, वही उसका कर्तव्य है, इस भावना को धारण कर कार्य करने से वह सहज होता है और सहजता से सहज में समा सकता है। वह निरंतर वर्तमान काल में रहकर सहज हो सकता है, उसके समक्ष भूत और भविष्य के विचार गौण हो जाते हैं।
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प्रश्न :- साधक सहजता से किसमें समा सकता है ?
(क) नरक में
(ग) आग में
(ख) पानी में
(घ) सहज में
उतर :- (घ) सहज में l
व्याख्या :-
वह व्यक्ति जो अपने मन को सदा आत्मा के साथ युक्त करके और वह पापरहित योगी आसानी से परमात्मा की प्राप्तिरूपी अनन्त आनंद की अनुभूति करता है । ऐसा साधक या योगी भूमानन्द में प्रतिष्ठित होता है ।
वह सहज भाव से ही ब्रह्म के संस्पर्श से प्राप्त होने वाले अनन्त आनन्द को प्राप्त हो जाता है l साधक के सामने जो विद्यमान है, वही उसका कर्तव्य है, इस भावना को धारण कर कार्य करने से वह सहज होता है और सहजता से सहज में समा सकता है ।
यह भी देखें :-
अगर कालिदास यहां आकर कहें कि 'अपने बहुत से सुंदर गुणों से सुहानी लगने
वाली, स्त्रियों का जी खिलानेवाली, पेड़ों की टहनियो...
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