संधन अंजनिहारा। होइहि केट एक दास तुम्हारा।। आयेस काह कहि किन मोही। सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही।। रोश सोजोकर जो कर सेवकाई। अरिकरनी करि करिमलराई।। सुमार, राग जेहि सिवधन तोरा। सहसवाह सम सो रिपु मोरा।। सो बिलगार विहार समाजा। नत मारे जैहहिं सब राजा।। सनि गनिसचण लखन मुस्काने। बोले परसुधरहि बहु धनुही तोरी लरिकाई। कबहूँ न असि रिस कीन्हि गोसाई।। येहि धन पर भगता केति हेतु। सुनि रिसाइ कह भगकुलकेतू।। रे नृपवालक कालवस बोलत तोहिन सँभार। धनुही सम त्रिपुरारिधन विदित सकल संसार।। प्रसंग व वयाखया
Answers
Answered by
0
Answer:
nice nice nice nice good
Similar questions