साधन और साध्य कि पवित्रता के बारे में गांधी जी के विचार
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मनुष्य द्वारा किये जाने वाले कर्म का फल मनुष्य के हाथ से नहीं होता किंतु कर्म अवश्य उसके हाथ में होता है, जो उसके हाथ में है वह ज्यादा महत्वपूर्ण है। बीज जीतना अच्छा होगा वृक्ष उतना ही शक्तिशाली होगा। उन्होंने सत्य को साध्य और अहिंसा को साधन माना है। साधन साध्य की पवित्रता का विचार गांधी दर्शन का एक चमकता सितारा है।
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