साड़ी इतिहास की प्रसंगिकता के संबंध में संक्षिप्त विवरण दीजिए
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साड़ी के इतिहास पर नजर डालें तो इसका उल्लेख वेदों में मिलता है। यजुर्वेद में सबसे पहले साड़ी शब्द का उल्लेख मिलता है। वहीं ऋग्वेद की संहिता के अनुसार यज्ञ या हवन के समय पत्नी को साड़ी पहनने का विधान है एेसा कहा गया है। धीरे-धीरे यह भारतीय परंपरा का हिस्सा बनती गई और आज भी साड़ी भारत की अपनी पहचान है।
पौराणिक ग्रंथ महाभारत में द्रौपदी के चीर हरण का प्रसंग है। जब क्रोध में आकर दुर्योधन ने द्यूत क्रीड़ा में द्रौपदी को जीतकर उसकी अस्मिता को सार्वजनिक चुनौती दी थी तब भगवान श्रीकृष्ण ने साड़ी की लंबाई बढ़ाकर उसकी रक्षा की थी। इससे यह पता चलता है कि साड़ी केवल पहनावा ही नहीं स्त्री के लिए आत्म कवच भी है।
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