Hindi, asked by gopal7seven, 1 month ago

स्वालंबन पर अनुच्छेद हिंदी

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Answered by itztaesprincessliza
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Answer:

जब हम कोई काम स्वयं करते हैं तो वह परिपूर्ण होता है और हमें अत्यंत संतोष की अनुभूति होती है . स्वावलंबन हमारे दिमाग और शरीर की जन्मजात क्षमताओं का विकास करता है . यह हमें सहनशील ,समझदार और सामाजिक बनाता है . यह हमें आनंद ,आत्म - विश्वास देता है और मस्तिस्क और चरित्र को मज़बूत करता है .

Answered by Vikramjeeth
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स्वालंबन पर अनुच्छेद

स्वावलंबन का अर्थ है अपने बलबूते पर कार्य करने वाला व्यक्ति । स्वावलंबन ही तो सफलता की कुंजी है। स्वावलंबी व्यक्ति जीवन में कीर्ति तथा वैभव दोनों ही अर्जित करता है। दूसरों के सहारे जीने वाला व्यक्ति सदा ही तिरस्कार का पात्र बनता है।

निरंतर निरादर तथा तिरस्कार पाने के कारण उसमें हीन भावना घर कर लेती है। जीवन का यह सच केवल व्यक्ति विशेष पर ही नहीं, अपितु हर जाति, हर राष्ट्र, हर धर्म पर लागू होता है।

हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भी स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान देशवासियों में जातीय गौरव का भाव जगाने हेतु स्वावलंबन का संदेश दिया था। सवावलंबन के मार्ग पर चलकर ही व्यक्ति, जाति, समाज, राष्ट्र, संसार शिखर तक पहुँच सकते हैं।

स्वावलम्बन अथवा आत्मनिर्भरता दोनों का वास्तविक अर्थ एक ही है-अपने सहारे रहना अर्थात् अपने आप पर निर्भर रहना। ये दोनों शब्द स्वयं परिश्रम करके, सब प्रकार के दुःख-कष्ट सह कर भी अपने पैरों पर खड़े रहने की शिक्षा और प्रेरणा देने वाले शब्द हैं। यह हमारी विजय का प्रथम सोपान है। इस पर चढ़कर हम गन्तव्य-पथ पर पहुँच पाते हैं। इसके द्वारा ही हम सृष्टि के कण-कण को वश में कर लेते हैं। गाँधी जी ने भी कहा है कि वही व्यक्ति सबसे अधिक दुःखी है जो दूसरों पर निर्भर रहता है।

मनुस्मृति में कहा गया है – जो व्यक्ति बैठा है, उसका भाग्य भी बैठा है और जो व्यक्ति सोता है, उसका भाग्य भी सो जाता है, परन्तु जो व्याक्त अपना कार्य स्वय करता है, केवल उसी का भाग्य उसके। हाथ में होता है। अतः सांसारिक दुखों से मुक्ति पाने की रामबाण दवा है – स्वावलम्बन ।

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