स्वामी आत्मानन्द किं ध्येय वाक्य सर्वप्रशंसितम्
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➲ स्वामी आत्मानन्द यस्य ध्येय वाक्य सर्वप्रशंसितम्....
परगुण परमाणून् पर्वतीकृत नित्यम्।
निजहृदि विकसन्ति सन्तिः सन्तः क्रियन्तः।।
अर्थात दूसरों के परमाणु के बराबर गुणों को पर्वत के बराबर बड़ा करके अपने हृदय में रखने वाले सन्त अर्थात सज्जन पुरुष कितने हैं।
व्याख्या ⦂
✎... स्वामी आत्मानन्द का कहने का तात्पर्य है कि ऐसे सज्जन पुरुष संख्या में बेहद कम हैं, जो दूसरों के छोटे से छोटे गुण को बहुत बड़ा समझ कर उसका सम्मान करें, उन गुणों को आत्मसात करें।
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