स्वामी दयानन्द सरस्वती के राजनीतिक विचारों की आलोचनात्मक परिक्षण कीजिए।
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MY ANSWER: स्वामी दयानंद , भारत - आर्य संस्कृति और सभ्यता के सबसे बड़े प्रेरित भी भारत में राजनीति में सबसे उन्नत विचारों के सबसे बड़े प्रतिपादक साबित हुए। वह मूर्तिपूजा , जाति प्रथा कर्मकांड , भाग्यवाद , नशाखोरी , खिलाफ थे। वे दबे - कुचले वर्ग के उत्थान के लिए भी खड़े थे। ... शिक्षा के क्षेत्र में आर्य समाज का योगदान सराहनीय है.
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Explanation:
धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक विचार:
स्वामी दयानन्द संन्यासि एवं कर्मयोगी थे । वे भारतीय राष्ट्रवाद के प्रबल समर्थक थे । वे सन् 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम के सक्रिय कार्यकर्ता थे । वे ऐसा बौद्धिक जागरण चाहते थे, जो आधुनिक युग के अनुरूप गुलाम भारतीयता को सब बंधनों से मुक्त कराये । उन्होंने स्वराज्य का उद्घोष करते हुए ”स्वशासन” एवं ”स्वराज्य” की मांग उठायी ।
वे भारतीयता एवं भारतीय संस्कृति पर गर्व महसूस करते थे । इसी भारतीयता को वे गुलामी से मुक्त कराना चाहते थे, ताकि उस पर गर्व किया जा सके । उन्होंने स्वराज्य, लोकतन्त्र की मांग की । राष्ट्रीयता को प्रोत्साहित करते हुए राष्ट्रभाषा हिन्दी का समर्थन किया । आर्थिक स्वतन्त्रता हेतु स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग पर बल दिया ।
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